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Showing posts from August, 2025

एक छोटी सी कहानी 77

☝🏼 एक छोटी सी कहानी मनोज (कर्मचारी): "सर, नए प्रयोग में रिस्क ज़्यादा है।" मुकेश अंबानी : " रिस्क नहीं लोगे, तो रिवॉर्ड भी नहीं मिलेगा ।" 👉🏼 "बड़ा सोचो, रिस्क उठाओ, तभी बड़ा बन पाओगे।" 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 76

☝🏼 एक छोटी सी कहानी माँ: "जल्दी निकल!" राजेश: "अभी पाँच मिनट हैं।" (बस छूटी, इंटरव्यू भी) 👉🏼 चंद मिनट की देरी, ज़िंदगी का बड़ा मौका छीन सकती है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 75

☝🏼 एक छोटी सी कहानी पुल पार करते वक्त रस्सी टूटने लगी, तीनों दोस्तों ने एक-दूसरे को थाम लिया। सभी सुरक्षित उतर गए — अकेला कोई नहीं बच पाता। 👉🏼 टीमवर्क मतलब साथ रहना और साथ संभलना। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 74

☝🏼 एक छोटी सी कहानी सुधीर: मुझे लगता है हमारे रिश्तों में कहीं न कहीं दूरी आ गई है। ज्योति: हाँ, क्योंकि दरवाज़ा तो खुला ही नहीं है। सुधीर: कौन-सा दरवाज़ा? ज्योति: हमारे मन का दरवाज़ा🚪, बाहर 💖प्यार, 🫂अपनापन और 😇शांति खटखटा रहे हैं,  पर भीतर से लगी छोटी-छोटी शिकायतों 🤬 और ego की कुंडी उन्हें रोक रही हैं। सुधीर: तो हल क्या है? ज्योति: बस एक चाबी 🔑 — क्षमा।  जैसे ही हम क्षमा कर दें, कुंडी खुल जाएगी ,  और भीतर फिर से ✨रौशनी और सुकून भर जाएगा। 🌸 बारम्बार खमत खामणा 🌸 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 73

☝🏼 एक छोटी सी कहानी जीतेश: "गुरुजी, समय हमेशा कम पड़ जाता है!" गुरुजी: (जार में पहले पत्थर, फिर रेत डालते हुए) " पहले ज़रूरी काम करो ।" 👉🏼 पहले ज़रूरी काम पूरे करो, बाकी अपने-आप जगह पा लेंगे। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 72

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  श्वेता – “तुम कभी मदद नहीं करते।” अमित ने उसी दिन बर्तन धो दिए । काम छोटा था, लेकिन असर बड़ा कर गया, कभी-कभी प्यार बर्तनों की खनक में भी सुनाई देता है। 👉 प्यार शब्दों से नहीं, छोटे छोटे कामों से भी दिखता है। 🍵💧 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 71

☝🏼 एक छोटी सी कहानी सुनील (कर्मचारी): "हमेशा ग्राहक के बारे में ही क्यों सोचते हैं?" जैफ बेज़ोस : "क्योंकि ग्राहक खुश है, तो बाकी सब अपने-आप सही  हो जाएगा।" 👉🏼 "ग्राहक-केंद्रित सोच ही लंबे समय तक टिकाऊ सफलता की कुंजी है।" 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 70

☝🏼एक छोटी सी कहानी एक आदमी रोज़ अकेले पार्क में टहलता था 🚶‍♂️, ज्यादा बात नहीं करता, मुख्यतः गमगीन रहता था। एक दिन बेंच पर बैठे 👴🏼 बुज़ुर्ग ने कहा – "पेड़ भी तभी हरे रहते हैं जब हवा और धूप से मिलते हैं, इंसान भी लोगों से मिलकर ही ज़िंदादिल रहता है।" 🌿 👉🏼 जितना लोगों से मिलोगे, उतना जीवन में रौनक रहेगी। ✨ 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 69

☝🏼 एक छोटी सी कहानी पापा – "10 घंटे आईने में देखो". बेटा – "इससे कुछ बदलेगा नहीं ". पापा – "ठीक वैसे ही, स्क्रीन पर भी कुछ नहीं बदलता… सिवाय समय के।" ⏳📱 👉🏼 स्क्रीन टाइम घटाओ, ज़िंदगी बढ़ाओ। 🌱 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

आचार्य श्री भिक्षु : विचार-दर्शन और अणुव्रत के निदेशक तत्व

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  आचार्य श्री भिक्षु : विचार-दर्शन और अणुव्रत के निदेशक तत्व तेरापंथ का प्रवर्तन और भिक्षु दर्शन तेरापंथ की स्थापना आचार्य श्री भिक्षु द्वारा विक्रम संवत् 1817 में हुई। वे भगवान महावीर के सत्य स्वरूप के निष्कपट उद्घोषक और अहिंसा के महाभाष्यकार थे। उस समय की रूढ़ धारणाओं से हटकर उन्होंने भगवान की वाणी का वास्तविक स्वरूप प्रस्तुत किया। इसी कारण उनके विचारों को भिक्षु दर्शन अथवा तेरापंथ दर्शन कहा गया। अणुव्रत आंदोलन : भिक्षु दर्शन की युगानुकूल अभिव्यक्ति आचार्य श्री भिक्षु के नवमे पट्टधर आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से संयम, नैतिकता और व्यवहार शुद्धि का संदेश समाज तक पहुँचाया। वस्तुतः अणुव्रत के निदेशक तत्व आचार्य भिक्षु के विचारों का ही युगानुकूल प्रस्तुतीकरण हैं। आचार्य तुलसी ने भिक्षु स्वामी की वाणी को आधुनिक भाषा और संदर्भ में अभिव्यक्त कर दिया। अणुव्रत के निदेशक तत्व और आचार्य भिक्षु का दर्शन १. दूसरों के अस्तित्व के प्रति संवेदनशीलता   अणुव्रत दर्शन का प्रथम निदेशक तत्व है — दूसरों के अस्तित्व के प्रति संवेदनशीलता। आचार्य भिक्षु ने स्पष्ट कहा कि बड़े ज...

एक छोटी सी कहानी 68

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  पिता ने दोनों बेटों को 20-20 रुपये देकर कहा – कमरा भर दो। बड़े ने भूसा खरीदा, छोटे ने मोमबत्ती जलाई…  रोशनी से पूरा कमरा भर गया। 👉🏼 समझ, पैसे से बड़ी होती है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 67

☝🏼 एक छोटी सी कहानी   पुलकित - तुम में इतना बदलाव कैसे ? रजत - रोज़ एक घंटा जल्दी उठता हूं, थोड़ी extra पढ़ाई, थोड़ा extra सुकून और यही सुकून ही तो दिनभर की ताकत बनता है। 👉🏼 सुबह का एक घंटा, दिन नहीं… इंसान बदल देता है। 🌅💫 🌹श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 66

☝🏼एक छोटी सी कहानी  कुसुम – “मेरी बहू गुणी, संस्कारी और परिश्रमी है, दिनभर घर के काम में लगी रहती है। परंतु न जाने क्यों, मेरी उससे बनती नहीं, इसलिए मैं उससे बोलती ही नहीं।” मंजू – “तेरे एक ही बेटा है तो बहू भी तेरे जीवन में एक ही मिलनी है। जब वह इतनी घरेलू है, तो थोड़ा सहयोग और अपनापन दिखा दे। यदि सास-बहू में संवाद ही न होगा, तो फिर घर में शांति और सुख कैसे फलेगा?” 👉 बातचीत और अपनापन ही घर को स्वर्ग बनाते हैं। 🌹श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 65

 ☝🏼एक छोटी सी कहानी  डिंपल – “मेरी सास बहुत धार्मिक और कर्मठ हैं, पर मुझसे बात नहीं करतीं… हमेशा अपनी बेटी का ही ध्यान रखती हैं। ” मनीषा – “तू भी किसी की बेटी है… तेरी माँ तेरा ख्याल रखती है। तेरी सास अपनी बेटी का रखती हैं, इसमें गलत कैसा? हाँ, शायद थोड़ा ज़्यादा करती हों… लेकिन याद रख, कल जब तू सास बनेगी, तो समझ आएगा। अगर तू उनसे मीठे बोलों से जुड़ने का प्रयास करेगी, तो धीरे-धीरे तेरी सास भी तुझे बेटी मान लेंगी, पत्थर पर पानी की बूँदें निशान छोड़ देती हैं, फिर तेरी सास तो इंसान हैं... बस संवाद बढ़ा, और देखना – घर में सुख ही सुख होगा।” 👉 रिश्ते बदलने का पहला कदम हमेशा अपनापन और संवाद से शुरू होता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 64

☝🏼 एक छोटी सी कहानी राकेश – "वो तो हमेशा गलतियां निकालता है!" प्रवीण मुस्कुराया – "निकालता है, डालता तो नहीं।" 👉🏼 सुधार करने वाले से नाराज़गी किस बात की। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 63

☝🏼 एक छोटी सी कहानी 🚌 भीड़भाड़ वाली बस में एक आदमी से किसी ने धक्का मुक्की की, गाली भी दी... 😶 वो मुस्कराया और दूसरी सीट पर जाकर बैठ गया। ❓ किसी ने पूछा – "जवाब क्यों नहीं दिया?" 🙂 वो बोला – " अपनी शांति किसी अजनबी को क्यों दूँ? " 👉🏼 हर लड़ाई लड़ने लायक नहीं होती…  कभी-कभी ‘Ignore’ करना ही असली जीत है। ✨ 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 62

☝🏼 एक छोटी सी कहानी यशोदा: कान्हा, तू मक्खन क्यों चुराता है? कृष्ण: मैया, मैं मक्खन नहीं… दिल चुराता हूँ। यशोदा: दिल क्यों चुराता है? कृष्ण: ताकि उसमें प्रेम और भक्ति भर सकूँ। 👉🏼 कृष्ण की असली लीला हमारे दिल को चुराकर उसमें प्रेम, भक्ति और आनंद भरना है। 🌸🎶 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 61

☝🏼 एक छोटी सी कहानी पंकज: पापा, आज़ादी मिली कब? पापा: 15 अगस्त, 1947, अनेक वीरों के बलिदान के बाद। लेकिन जब देश का हर नागरिक ईमानदारी, सफाई और भाईचारे का झंडा अपने दिल में फहराएगा… तभी असली आज़ादी होगी। पंकज: और खोएगी कब? पापा: जब हम अच्छे नागरिक होना छोड़ देंगे।  👉🏼 असली स्वतंत्रता वीरों के बलिदान से मिलती है और हमारे कर्मों से बची रहती है। झंडा हवा में नहीं, दिल में फहराना ही सच्ची स्वतंत्रता है 🇮🇳 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 60

☝🏼 एक छोटी सी कहानी 🥴युवक बोला – "गुरुजी, बहुत तनाव है…" 🧂गुरु ने एक गिलास पानी में नमक डालकर पिलाया – "कड़वा!" 🌊फिर झील में उतना ही नमक डाला – "अब पियो…" 🙂 युवक बोला – "अब तो कड़वा नहीं है!" 🙏 गुरु बोले – " तनाव वही है, सोच का दायरा बदलो। गिलास नहीं, झील बनो… रहो Stress-Free!" 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 59

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  पंकज: “बहुत मुश्किल है यार…” श्रीधर: “गर्मी है, पैर दुख रहे… वापस चलें?” सचिन: “मुझे सिर्फ़ मंज़िल दिख रही है, रुकावटें नहीं, चलो, आगे बढ़ो !” 👉 मुसीबतें हर किसी को दिखती हैं, जीत उसी को मिलती है जो सिर्फ़ मंज़िल देखता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 58

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  जीतू सड़क पर थूकने ही वाला था, पापा बोले – "हर बार सफाई वाला क्यों? हम साफ़ रखें तो गंदगी ही ना फैले।" 👉 Civic Sense वहीं से शुरू होता है, जहाँ हम खुद को जिम्मेदार समझते हैं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 57

☝🏼 एक छोटी सी कहानी एक शाम पत्नी थकी हुई लौटी। दरवाज़ा खुला… सामने पति चाय का कप लिए खड़ा था। वो बोली – “कभी कुछ कहकर प्यार जताया करो।” पति मुस्कराया – “ प्यार कहने से नहीं, जीने से होता है… और ये चाय, मेरा तरीका है तुम्हें सुनने का।” 👉 प्यार हमेशा शब्दों में नहीं, छोटे इशारों में भी झलकता है 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 56

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  पत्रकार ने तंज कसा – "आप तो बल्ब बनाने में हज़ार बार फेल हो चुके, कैसा लग रहा है?" एडिसन मुस्कराए –  "मैं फेल नहीं हुआ…  मैं तो हज़ार तरीके खोज चुका हूँ, जिनसे बल्ब नहीं बनता!" 💡 👉 हर असफलता, सफलता की तैयारी होती है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 55

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  पिंकी: “काम अच्छा है, पर लोग क्या कहेंगे…” श्रुति: “ तू करेगी तो कहेंगे, नहीं करेगी तो भी कहेंगे…  तो क्यों ना कुछ कर दिखाया जाए?” 👉 दुनिया की राय बदलने से बेहतर है, खुद को साबित करना। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 54

☝🏼 एक छोटी सी कहानी ग्राहक – "अगर मैं पैसे न गिनूं तो?" दुकानदार मुस्कराया – " तब भी उतने ही मिलेंगे, जितने देने चाहिए। " 👉 बिज़नेस का असली मुनाफ़ा, भरोसे की पूंजी से बढ़ता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 53

☝🏼 एक छोटी सी कहानी अभय (घबराते हुए): "मैं ये नहीं करूंगा… मुझे आता ही नहीं है।" प्रीति हँसते हुए बोली: "तो क्या बिना पानी में उतरे तैरना आ जाएगा? पहला कदम रखो… फिर डर खुद डर जाएगा।" 👉 सीखना है, तो शुरुआत करनी ही पड़ेगी। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 52

☝🏼 एक छोटी सी कहानी बेटी रोज़ पूछती – "माँ, खेलोगी?" माँ कहती – "कल पक्का!" कुछ दिन बाद बेटी की डायरी में लिखा था –  " माँ के पास सबके लिए वक़्त है... बस मेरे लिए कल है। " 👉 बचपन इंतज़ार नहीं करता, समय देना ही सच्चा प्यार है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 51

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  मनोज — "ईमानदारी रखूँ या मुनाफ़ा देखूँ?" पिता ने दुकान की दीवार की ओर इशारा किया:  "ये नाम पिछले 50 सालों से टिका है... मुनाफ़ा तो हर दिन बदलता है।" 👉 ईमानदारी वो ब्रांड है, जो पीढ़ियाँ चलाता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 50

☝🏼एक छोटी सी कहानी सास ने ससुर से कहा, " इतनी-सी बात तो बहू को समझ लेनी चाहिए थी। " उधर बहू ने भी अपने पति से कहा, "मां जी को इतनी-सी बात तो समझ लेनी चाहिए थी।" घर एक ही था, दीवारें भी एक थीं… पर समझ — एक दीवार पार न कर सकी। 👉🏼 बस एक "मैं ही सही हूं" की जिद और "वो समझ जाता तो…" की उम्मीद काफी होती है। समझ अगर दो तरफा हो, तो घर दीवारों से नहीं — दिलों से जुड़ता है। 🕊️ 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 49

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  पत्नी चुपचाप खाना परोस रही थी। पति ने धीमे से पूछा, "नाराज़ हो?" पत्नी ने सिर झुकाया, कुछ नहीं बोली। पति ने धीरे से उसका हाथ पकड़कर कहा –  “तुम्हारी चुप्पी में भी मैं तुम्हारा प्यार सुन सकता हूँ… लेकिन आवाज़ में सुनना ज़्यादा अच्छा लगता है।” पत्नी मुस्कुरा दी। 👉 रिश्ते आवाज़ से नहीं, एहसास से चलते हैं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 48

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  कार्लसन ने हारते ही मेज पर ज़ोर से हाथ पटका – "यह नहीं हो सकता!" 😡 दूसरी ओर, गुकेश ने जीत के बाद बस हल्की-सी मुस्कान दी। ना कोई उछाल, ना कोई शोर… बस गहरी शांति। 😌 एक ने हार कर अपना आपा खो दिया, दूसरे ने जीतकर भी अपना संतुलन नहीं खोया। 👉 सच्ची महानता सिर्फ जीतने में नहीं, जीत को सम्भालने में होती है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 47

☝🏼 एक छोटी सी कहानी  सास-बहू ने मिलकर एक डांस Reel बनाई। वायरल हो गई! बहू बोली – “माँ, आप तो स्टार बन गईं!” सास हँसते हुए बोलीं – “ तेरी दोस्त बनकर जो सीखा, तो जवानी लौटा लाई।” 👉 रिश्ता जब दोस्ती में ढल जाए, उम्र की रेखाएं धुंधली हो जाती हैं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी