Posts

Showing posts with the label politics

अधिकार : दायित्व और कर्तव्यों

Image
  आज के दौर में अधिकारों की आपाधापी चल रही है। पता नहीं हर व्यक्ति यह चाहता है कि यह करना मेरा ही अधिकार है। लेकिन दायित्व और कर्तव्यों के प्रति कोई उसका लेना-देना नहीं लगता। मानसिकता यह हो गई हमारे अधिकार क्या है यह जानने से पहले हमें बताया जाए कि दायित्व और कर्तव्य क्या है पिछले दिनों यूट्यूब पर कई वीडियो देखने में आए। इनमें देखा गया दुर्घटना घटी तब लोग वीडियो बनाने में मशगूल है न कि जान बचाने में। यह सब क्या हो रहा है कहां गई हमारी मानवीय संवेदना यह हमारा कर्तव्य क्या केवल मात्र घटना को किस तरीके से प्रदर्शित करें यही रह गया क्या हमारी संवेदना तो लगता है खत्म हो गई। संवेदना के साथ-साथ लगता है करुणा दया भाव में भी बेहद कमी आ रही है। प्रश्न यह है ऐसा क्यों हो रहा है सोशल मीडिया का जमाना होने कारण के लगता है , हर व्यक्ति घटना को अपने नजरिए से देखकर सबसे पहले परोसना या बताना या प्रचारित करना चाहता है। जबकि उसका दायित्व है वह मानवाधिकार के तहत कार्य करें , नागरिक होने कर्त्तव्य निभाए। पुलिस को अधिकार है कानून व्यवस्था बनाए रखने का। पर वे भी डंडे बरसा कर क्या बताना चाहते है य...

विश्वास -किस पर करें???

Image
  वर्तमान जीवन का सबसे बड़ी जो समस्या है वह है विश्वास की। हम किस पर विश्वास करें। विश्वास की हालत यह है कि पिछले दिनों जब मैं देखता हूं आत्महत्याए बढ़ रही हैं। इसका कारण है कि उन्हें अपने स्वयं पर विश्वास नहीं है , जब आदमी का स्वयं से विश्वास उठ जाता है तो वह फिर आत्महत्या जैसा कदम उठाता है। आज विश्वास की स्थिति यह है कि व्यक्ति किस पर विश्वास करें । रिश्तेदारों पर , धर्म गुरुओं पर , राजनेताओं पर , सरकारी अधिकारियों पर , पत्रकारिता पर या फिर न्यायपालिका किस पर करे। प्रतिदिन हम अखबारों में समाचार पढ़ते हैं कि बेटा-बेटी अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ क्या हालत करता है या बहु अपने सास-ससुर की क्या हालत करती हैं ? फिर उन्हें वृद्धाश्रम की ओर देखना पड़ता है। तो क्या यह हमारे संस्कार हैं ? हमारी संस्कृति ने हमें यह सिखाया है ? जहां पिछले दिनों पारिवारिक दुष्कर्म की बातें भी कई बार आई। यह भी हमारे समाज पर धब्बा है , दाग है। जहां हमारे विश्वास के रिश्ते हैं उन पर बहुत बड़ी चोट है। अभी पिछले दिनों न्यायाधिपति जसराज जी चोपड़ा बता रहे थे एक बेटे ने मां को विदेश अपने साथ ले जाने की बात कही। व...

कहते कुछ हैं करते कुछ है

Image
  सारी दुनिया मुंह पर मास्क लगाकर चल रही है पर कोरोना वायरस के डर से। ये देखकर कई बार यह लगता है कि पहले ही कई लोग कई मुंह लगाकर रहते आ रहे हैं। कहते कुछ हैं करते कुछ है। यह बात हर स्तर पर हर जगह पर देखने को आपको मिल सकती है। थोड़ा सा हम ध्यान लगाएं तो पता चलेगा जो मानदंड है या जो पैमाना है वह अपने लिए अलग दूसरे के लिए अलग। यह बात गले कम उतरती है लेकिन ऐसा हम सब करते हैं। मैंने जहां तक अनुभव किया है सब जगह यही चलता है जैसे मैं राजनीति की बात करूं तो राजनीति में अपनी पार्टी में कोई दूसरा  पार्टी का सदस्य आता है तो कहते हैं उसका हृदय परिवर्तन हो गया और अपनी पार्टी से कोई सदस्य जाता है तो कहा जाता है वह दलबदलू है। यह दोहरापन जो है यह हमारी दुनिया में बराबर चलता है। अब मास्क लगाने के बाद तो चेहरों का पता ही नहीं चलता। मेरे को अभी कई बार बाहर जाने का काम पड़ा तो कई लोगों ने कहा पहचाना नहीं क्योंकि चेहरे पर मास्क था। लेकिन मुझे लगता है हम तो वैसे भी कई चेहरे लगा कर चलते हैं जहां दोहरा पन में जीते हैं। ये मास्क तो बाहरी आवरण है भीतर का चेहरा  जो दोगलापन लिए है वह कैसे नजर आए। म...

धर्म – राजनीति – सिनेमा

Image
  कुछ समय पहले मैंने लिखा था भारत विविधताओं में एकता की मिसाल वाला देश है। यह एकता हमें हर दृष्टिकोण से देखने में मिलती है क्योंकि मैंने भी भारत की इस पवित्र और पावन भूमि का भ्रमण कश्मीर से लगाकर कन्याकुमारी तक और कच्छ से लगाकर कामख्या तक किया है। इस भूमि पर देखने में इतनी विविधताए हैं , इतना ही एक अलग ही नजारा है। वैसा मेरी जानकारी में विश्व के किसी और देश में हो नहीं है। यहां भाषा , भूषा और भोजन हर 20 कोस बाद जरूर परिवर्तन करता है। परिवर्तन के साथ साथ इसमें सब की एक अपनी अलग अलग पहचान भी है। वह पहचान ही हमारी अनेकता में एकता को दर्शाती है। हम सब की पारिवारिक सोच की स्थिति करीब करीब मैंने जहां तक देखा है पूरे भारत भर में एक जैसी देखी है। मुझे याद है मैं एक बार कोंकण रेलवे में त्रिवेंद्रम से मैंने जोधपुर तक की यात्रा के दौरान जब केरल में एक स्टेशन पर पूरा परिवार किसी अपने को पहुंचाने आता है और केवल पहुंचाने ही नहीं आता है वरन सबकी आंखों में आंसू भी आते हैं। उसी तरीके से प्यार और दुलार से जैसे कोई पूरा गांव किसी की रवानगी के लिए आया है या कहीं पर देखा कि किसी का स्वागत करने ...