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Showing posts from April, 2021

अधिकार : दायित्व और कर्तव्यों

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  आज के दौर में अधिकारों की आपाधापी चल रही है। पता नहीं हर व्यक्ति यह चाहता है कि यह करना मेरा ही अधिकार है। लेकिन दायित्व और कर्तव्यों के प्रति कोई उसका लेना-देना नहीं लगता। मानसिकता यह हो गई हमारे अधिकार क्या है यह जानने से पहले हमें बताया जाए कि दायित्व और कर्तव्य क्या है पिछले दिनों यूट्यूब पर कई वीडियो देखने में आए। इनमें देखा गया दुर्घटना घटी तब लोग वीडियो बनाने में मशगूल है न कि जान बचाने में। यह सब क्या हो रहा है कहां गई हमारी मानवीय संवेदना यह हमारा कर्तव्य क्या केवल मात्र घटना को किस तरीके से प्रदर्शित करें यही रह गया क्या हमारी संवेदना तो लगता है खत्म हो गई। संवेदना के साथ-साथ लगता है करुणा दया भाव में भी बेहद कमी आ रही है। प्रश्न यह है ऐसा क्यों हो रहा है सोशल मीडिया का जमाना होने कारण के लगता है , हर व्यक्ति घटना को अपने नजरिए से देखकर सबसे पहले परोसना या बताना या प्रचारित करना चाहता है। जबकि उसका दायित्व है वह मानवाधिकार के तहत कार्य करें , नागरिक होने कर्त्तव्य निभाए। पुलिस को अधिकार है कानून व्यवस्था बनाए रखने का। पर वे भी डंडे बरसा कर क्या बताना चाहते है यह सम

कर्मवाद - जैन दर्शन परिप्रेक्ष्य

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  कर्म हमारे अतीत का लेखा-जोखा है। विश्व के प्रत्येक धर्म में अच्छे बुरे कर्म की अवधारणा है। आध्यात्मिक साधना एवम उसके ज्ञान की व्याख्या कर्म शास्त्र को जाने बिना नहीं की जा सकती। कर्मवाद हमारे कृत कार्यों-आचरण की मीमांसा करता है। बाहरी एवम् भीतरी कारकों से हमारे सभी कार्य प्रभावित होते है। बाहरी कारण स्पष्ट दृष्टि गोचर है एवम् भीतरी दिखाई तो नहीं देते लेकिन व्यक्ति के आचरण पर गहरा प्रभाव डालते हैं। कर्मशास्त्र मन की इन गहनतम अवस्थाओं की खोज का अध्ययन है। वैदिक मान्यता है जीवात्मा कर्म करने को स्वतंत्र है। सृष्टि के नियंता /भगवान की न्याय- वयवस्था में अच्छे-बुरे कर्मो का फल भोगना पड़ता है। इस्लाम के अनुसार मनुष्य अपने कुकर्मों के लिये स्वयं उत्तरदाई इसलिए है क्योंकि उन्हें करने या न करने का निर्णय अल्लाह मनुष्य को स्वयं ही लेने देता है। उसके कुकर्मों का भी पूर्व ज्ञान खुदा को होता है। ईसाई , बौद्ध आदि सभी धर्मो में कर्म एवम् कर्म सिद्धांत की मान्यता है। १) जैन दर्शन मतानुसार सबसे प्रथम हम यह देखेंगे कर्म है क्या ? भगवान महावीर ने स्पष्टत "कर्म को पुदगल" ( matter/ पर