Posts

Showing posts with the label geeta updesh

गीता का निष्काम कर्मयोग - वर्तमान की आवश्यकता

Image
श्रीमद्भगवत गीता का नाम सुनते ही मन मे कुरुक्षेत्र की रणभूमि मे अर्जुन को उपदेश देते हुए श्री कृष्ण का दर्शन अंतर्मन में स्वतः प्रस्फुटित हो जाता है। गीता महाभारत के भीष्म पर्व मे उल्लेखित कृष्ण-अर्जुन का संवाद है। गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है। अर्जुन जब युद्ध मे भावनात्मक आवेग मे आकार अपने क्षात्र धर्म और कर्तव्य से विमुख हो रहे थे , तब श्री कृष्ण ने अर्जुन के ज्ञान चक्षु खोलने हेतु गीता के उपदेश दिये। गीता की व्याख्या समय सामी पर विद्वान मनीषियों ने अपने-अपने अनुसार की है। गीता के उपदेश कालखंड , स्थान , जाति , उपजाति और धर्म से परे है। मानव जीवन दिन और रात की तरह है। जिस प्रकार दिन व रात समान नहीं होते , उसी प्रकार मनुष्य की परिस्थितिया भी सदैव एक समान नहीं होती है। मानव का स्वभाव है की वह हमेशा सुख की इच्छा करता है। परंतु जिस तरह सदैव दिन नहीं हो सकता वैसे ही सदैव सुख के दिन भी नहीं हो सकते। अच्छा और बुरा ये मनुष्य के साथ जीवनभर चलते है । यही अटल सत्य है। परंतु फिर भी मनुष्य अज्ञानतावश मोहपाश मे फंस कर अपनी परिस्थितियो का दोष कभी दूसरों पर तो कभी अपने भाग्य पर...