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सगपण, सौदो, चाकरी, राजीपे रा खेल

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  स्वलप शब्दों में समग्र दर्शन के अंतर्गत पापा जी सोहनराज जी कोठारी का लिखा हुआ कहावतों पर यह लेख वर्तमान संदर्भ में समसामयिक है क्योंकि तलाक और संबंध विच्छेद बहुत बढ़ रहे हैं। उसका कारण है हमने बिना या पुरी जानकारी   किए बिना संबंध कर लिया और उसका आगे परिणाम अच्छा नहीं आया। यह लोकोक्ति हमें बताती है   संबंध करते समय ही   सारी बातें देख परख कर एक दूसरे को समझ कर करना चाहिए। जिससे कि आगे मुसीबत ना खड़ी हो। विषय वर्तमान परिपेक्ष में हम सबके लिए प्रेरणादायक है। -   मर्यादा कुमार कोठारी पाणी पीजे छाण ने , सगपण कीजे जाण ने इस लोकोक्ति में स्वस्थ व सुखी जीवन जीने का अपूर्व गुर निहित है। पानी में कई प्रकार के कीटाणु और जीवाणु रहते है। अतः तालाब , कुंआ या नल का पानी वैसी ही स्थिति में पीने से कीटाणु और जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाते है। व्यक्ति के स्वास्थ्य को अनायास बिगाड़ देते है। जिससे इस लोकोक्ति में व्यक्ति को छानकर पानी पीने का आह्वान किया गया है। यह सर्वविदित है कि गांवों में तालाबों का अनछाना पानी पीने से  नारू का रोग बहुत प्रचलित है। नलों में टंकियों से...