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Showing posts from December, 2025

एक छोटी सी कहानी 193

☝🏼 एक छोटी सी कहानी मीरा : “Motivation टिकता नहीं।” जीतू : “सही कहा…  मैं तो अब उसे guest मानता हूँ।” मीरा : “फिर काम कैसे होता है?” जीतू : “ काम आदत करती है।  Motivation आता-जाता है,  आदत रोज़ हाज़िर रहती है।” 👉 ज़िंदगी जीतने वाले motivated नहीं होते— habitual होते हैं। ✨ 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 192

☝🏼 एक छोटी सी कहानी निवृत्ति: “फालतू खर्च कैसे रोकूँ?” सखी: “हर खरीद से पहले पूछ— ज़रूरत है या बस मन ?” 👉 मन खर्च करवाता है, दिमाग बचाता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 191

☝🏼 एक छोटी सी कहानी रिदित: “मैं शुरू तो कर देता हूँ, रुक जाता हूँ।” रिदम: “ रुकना आदत है, चलते रहना discipline । ” 👉 Discipline बहाने को हराता है— तुम्हें नहीं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 190

☝🏼 एक छोटी सी कहानी विवेक: “हां, हां, कल से शुरू करूँगा।” अमित: “ हर अच्छी आदत कल पर गई… तो आज कभी आएगा ही नहीं ।” 👉 Consistency आज से बनती है, कल से नहीं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 189

  ☝🏼 एक छोटी सी कहानी किरण : “हम दोनों परफ़ेक्ट नहीं हैं।” मनोज : “सही है… पर हम एक-दूसरे के लिए परफ़ेक्ट हैं।” 👉 रिश्ते परफ़ेक्ट होने से नहीं… एक-दूसरे को परफ़ेक्ट मानने से खूबसूरत बनते हैं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 188

☝🏼 एक छोटी सी कहानी नेहा: “गलतियाँ हो जाती हैं।” रिचा: “तो गलतियों से सीख भी ले…   दोबारा होंगी ही नहीं ।” 👉 Growth mindset गलतियों से नहीं डरता, उन्हीं पर खड़ा होता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 187

☝🏼 एक छोटी सी कहानी अमित (पिता) : “मोबाइल कम कर।” आद्या: “ क्या करूँ फिर?” अमित: “ प्रतिदिन   पाँच पेज पढ़… दिमाग खुद चलेगा। ” 👉 जब दिमाग पढ़ना सीख जाता है, तब उसे चलाने के लिए किसी और की ज़रूरत नहीं पड़ती। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 186

☝🏼 एक छोटी सी कहानी गीता: “तुम मेरे तरीके से क्यों नहीं करती?” साक्षी - बहू (मुस्कराकर): “क्योंकि मैं आपके तरीके सीखते-सीखते… अपने तरीके भी बना रही हूँ ।” सास हँस पड़ी— “ चल, दोनों के तरीके मिलाकर घर चला लेते हैं । ” 👉 जहाँ मैं-तू कम, और “हम” ज़्यादा होता है… वहाँ घर नहीं, परिवार बसता है। 💛✨ 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 185

☝🏼 एक छोटी सी कहानी तनु : “छोटे-छोटे habits क्या बदलेंगे?” रिया : “दिन बदलेंगे… और दिन मिलकर जिंदगी ।” 👉 आदतें छोटी दिखती हैं, असर बहुत बड़ा होता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 184

☝🏼 एक छोटी सी कहानी वेदांत: “पापा, मैं इसमें अच्छा नहीं हूँ।” प्रदीप (पिता): “ अभी नहीं है… पर सीख लेगा तो हो जाएगा ।” 👉 Growth mindset का पहला कदम— ‘न’ को ‘अभी नहीं’ में बदल देना। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 183

☝🏼 एक छोटी सी कहानी मीना : “नाना को समय कौन दे यार, काम बहुत है।” सीमा : “एक दिन वो समय नहीं मागेंगे… याद बन जाएंगे ।” 👉 “बुज़ुर्गों को दिया हुआ समय, जिंदगी भर पछतावे से बचा लेता है।” 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 182

☝🏼 एक छोटी सी कहानी अमित: “निवेश risky लगता है।” विकास: “बिना निवेश वाली जिंदगी उससे बड़ा risk है।” 👉 Risk टालने से सुरक्षित नहीं, पीछे रह जाते हैं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 181

☝🏼 एक छोटी सी कहानी अभिषेक: “मुझे ideas नहीं आते।” गौरव: “किताबें नहीं खोलता… ideas कहाँ से आएँगे?” 👉 इनपुट अच्छा होगा तो आउटपुट कमाल होगा। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 180

☝🏼 एक छोटी सी कहानी विनय : “यार, कॉफ़ी बस ₹300 की ही है, क्या ही फ़र्क पड़ता है?” हितेश : “और फिर शाम को तू ही पूछता है— पता नहीं, पैसे कहाँ जा रहे हैं?” 👉 खर्च छोटा लगता है, असर बड़ा होता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 179

☝🏼 एक छोटी सी कहानी विमल : “तू इतना फ़्रेश कैसे रहता है?” संदीप : “सिंपल, हर दो घंटों में... एक गिलास पानी। ” 👉 छोटी आदत, बड़ा असर। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 178

☝🏼 एक छोटी सी कहानी नीतू : “यार, टाइम नहीं मिलता।” सरिता : “या फिर टाइम निकलता नहीं?” 👉 समय बनाना पड़ता है, मिलता नहीं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 177

☝🏼 एक छोटी सी कहानी सपना : “फिर नया कवर?” निशांत : “100 रुपये ही तो है।” सपना : “महीने में दस बार सौ भी हज़ार होता है।” 👉 छोटा छोटा खर्च भी बड़ी कहानी लिखता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 176

☝🏼एक छोटी सी कहानी राहुल: “कहाँ है तू?” अमन: “जहाँ तुझे चाहिए।” 👉 दोस्ती— लोकेशन नहीं, presence होती है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 175

☝🏼एक छोटी सी कहानी अशोक: “यार, एक मुश्किल है…” मनोज: “ला, आधी मेरी हो गई ।” 👉 बोझ बाँटने की कला है दोस्ती। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 174

  ☝🏼एक छोटी सी कहानी भेरू ( बड़ा भाई) : “तुझे डर लगता है?” संजू ( छोटा) : “हाँ… पर तेरे साथ नहीं ।” 👉 भाई का हाथ — सबसे बड़ा भरोसा। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 173

☝🏼 एक छोटी सी कहानी ऋचा: “लंच बॉक्स रख दिया था तुम्हारे बैग में।” हिमांशु (बिना देखे ही): “ठीक है।” (ऋचा धीरे से मुड़ती है।) हिमांशु: “ऋचा… Thank you. बिना बोले भी तुम बहुत कुछ कर देती हो।” 👉 कभी-कभी एक धन्यवाद, थकान से ज़्यादा प्यार भर देता है। 🌹श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 172

☝🏼 एक छोटी सी कहानी रीना: “जॉगिंग करनी चाहिए… सेहत के लिए जरूरी है।” अभिषेक: “हाँ, हाँ, पता तो मुझे भी है।” (दोनों मोबाइल देखते हुए बैठे रहते हैं…) रीना (हँसकर): “तो फिर चलें?” अभिषेक: “अभी?... नहीं, कल पक्का!” 👉 सही सबको पता है… फर्क सिर्फ इतना है कि कोई ‘अभी’ उठता है, कोई ‘कल’ में खो जाता है। ✨ 🤓 श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 171

☝🏼 एक छोटी सी कहानी आर्यन: “कुछ नहीं, वहां थोड़ा टाइम पास कर रहा था।” रौनक: “भाई… टाइम पास करते-करते टाइम तेरे  पास नहीं रहेगा।” 👉 समय से खेलोगे, तो समय जरूर सिखाएगा। ☕ श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 170

☝🏼 एक छोटी सी कहानी राहुल: “मेरा दिन पता नहीं कहाँ निकल जाता है।” हितेश: “जहाँ ध्यान जा रहा है… दिन भी वहीं जा रहा है।” 👉 ध्यान बचाओ, दिन बच जाएगा। 🤟🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 169

☝🏼 एक छोटी सी कहानी गौरव: “मैं भीड़ में खो जाता हूँ।” राहुल: “क्योंकि तू भीड़ जैसा बनने की कोशिश करता है।” 👉 पहचान तब बनती है, जब आप भीड़ से अलग होने की हिम्मत रखते हैं। 🤓 श्रैयाँस कोठारी