अति से बचे - सुखी रहे
अति से बचने का सबसे सरल उपाय है सहजता
से हर स्थिति को स्वीकार करना,
पुरुषार्थ करना मनुष्य के हाथ में है, लेकिन पुरुषार्थ
का फल हमारे अनुकूल भी आ सकता है, कम अनुकूल भी हो सकता है तथा पूर्ण
प्रतिकूल भी हो सकता है,
तीनों
ही परिस्थितियों में अति प्रतिक्रिया से बचे इससे हम परिस्थिति के तनाव -
आवेश बच जाएंगे, याद कीजिए 2011 के क्रिकेट
विश्व कप फाइनल में महेंद्र सिंह धोनी द्वारा विजयी छक्का लगाने के बाद दी गई
शांत प्रतिक्रिया, बस यही हमें जीवन में उतारना है।
अति से बचने का दूसरा सुंदर उपाय
स्वयं की तथा सामने वाले की मर्यादाओं एवं क्षमताओं का ज्ञान होना, आज
के अभिभावक छोटी उम्र से ही अपने बच्चों से, उसकी नैसर्गिक
क्षमता जाने बिना उससे अत्यधिक आशाएं पाल लेते हैं तथा आशाएं पूर्ण न होने की
स्थिति में उसका परिणाम कुंठा एवं कलह होता है, अपनी-अपनी
क्षमता अनुसार जीवन की योजनाएं करें तो जीवन अधिक सुखद व सरल होगा।
तीसरी बात, हम कई चीजें अपनी समझ से सीखते हैं,
कई
चीजें अपने अध्ययन से सीखते हैं एवं कई चीजें समाज एवं व्यक्तियों के व्यवहार को
देखकर सीखते हैं। किस परिस्थिति में किस समाज या व्यक्ति ने क्या सर्वोत्तम
प्रतिक्रिया दी, कैसे प्रतिकूल स्थिति को अपने अनुकूल
बनाया,
उसे देखकर हम अति से बच सकते हैं, याद कीजिए 2014 के लोकसभा
चुनावों मे कैसे प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जब उनके बचपन की पृष्ठभूमि पर
उनके विरोधियों ने गलत बयानी की तो उसी गलत बयानी को उन्होंने "चाय पर
चर्चा" के रूप में एक अवसर में बदल दिया।
अतः अब मैं भी अति से बचते हुए लेख
के अंत में कहूंगा कि "अति" से बचना कठिन अवश्य है लेकिन यह अभ्यास करने
से ही संभव होगा, जीवन
में संतुलन आने पर आप पाएंगे कि जीवन अधिक मधुर एवं आनंद दायक हो गया है।
आज का लेख बहुत ही मार्मिक विषय है और आपने अच्छे उदाहरण के साथ इसे समझाया। विषय को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करके आपने एक ओर अचूक उदाहरण दिया है।
ReplyDeletethank you HARSH, thanks for the feedback, do read here regularly, comment and share...
DeleteRightly said
DeleteTHANKS
Deleteबहुत सुन्दर सोच
ReplyDeleteTHANKS
DeleteVery interesting all points covered related to our daily life.
ReplyDeleteBeautifully explained.
Regards
THANKS
Deletethank you for your valuable time and feedback, stay tuned for such more blogs.
Delete