एक छोटी सी कहानी 94

☝🏼एक छोटी सी कहानी

वह रस्सी तक पहुँचा ही था कि मन ने पूछा – "तेरे जाने के बाद तेरे माँ–बाप? तेरे बच्चे? तेरे दोस्त? क्या तूने सोचा उनका क्या होगा?"

उसने कल्पना की – माँ का बिखर जाना, पिता का टूट जाना, बच्चों की आँखों में सवाल, दोस्तों की खामोशी। पलकों से आँसू बहे… और उसी क्षण उसने आत्महत्या का विचार त्याग दिया।

उसने तय किया – "मरना नहीं है… जीना है, परिवार और अपने सपनों के लिए।"

👉मौत आसान है, पर जीकर सहारा बनना ही असली साहस है।

🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

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