आचार्य भिक्षु के स्टार्टअप टूल्स

आचार्य भिक्षु के startup tools 

स्थान: स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी
विषय: स्टार्टअप मैनेजमेंट – स्थायित्व, नैतिकता और नेतृत्व

कक्षा की शुरुआत होती है। प्रोफेसर जॉन रे आज कुछ अलग ही मूड में हैं। छात्र अपनी नोटबुक खोलते हैं, सोचते हैं आज किसी यूनिकॉर्न स्टार्टअप की चर्चा होगी। लेकिन जैसे ही प्रोजेक्टर चालू होता है, स्क्रीन पर एक नाम चमकता है:

Acharya Bhikshu – एक संत, एक सिस्टम, एक स्टार्टअप
कक्षा में हलचल होती है। एक छात्र बुदबुदाता है — "सर, ये कोई साधु हैं क्या? उनका स्टार्टअप से क्या लेना-देना?"

प्रोफेसर मुस्कुराते हुए कहते हैं:
जब आज की युवा पीढ़ी किसी स्टार्टअप की बात करती है, तो वह इनोवेशन, वैल्यू क्रिएशन, और लीडरशिप को केंद्र में रखती है। पर सोचिए — अगर हम आपको बताएं कि 18वीं सदी में एक ऐसे संत थे जिन्होंने धर्म के क्षेत्र में ऐसा स्टार्टअप खड़ा किया, जिसकी वैल्यू आज भी लाखों लोगों के जीवन को दिशा देती है? वह स्टार्टअप था — तेरापंथ, और उसके फाउंडर थे — आचार्य भिक्षु। 
“कहा जाता है अच्छे से अच्छा बिजनेस भी तीन पीढ़ियां या 100 वर्षों से अधिक नहीं चल पाता है, आज मैं आपको एक ऐसे स्टार्टअप के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिसे किसी वेंचर कैपिटल ने नहीं फंड किया, पर वह कुछ ही वर्षों में 300 वर्ष पूरे करने जा रहा है।”

तेरापंथ के नवम आचार्य श्री तुलसी के शब्दों में कहूं 

चर्चावादी, कुशल-प्रशासक, मीमांसक, संगायक हा,
पुरुष-परीक्षक और समीक्षक नव्य नीति-निर्णायक हा, 
हो सन्ता ! प्रगट्यो कोई एक नयो उद्योतकार हो ।।

18वीं सदी में, राजस्थान की तपती ज़मीन पर एक युवा साधु उठे — नाम था भिक्षु। उन्होंने एक ऐसा आध्यात्मिक स्टार्टअप शुरू किया जिसे आज हम तेरापंथ संप्रदाय के नाम से जानते हैं। चंद साधुओं की एक छोटी-सी टीम, कोई पैसा नहीं, कोई प्रचार नहीं, लेकिन विचार थे — तेज, तपस्वी और टिकाऊ।

आचार्य श्री भिक्षु के जीवन के हर पहलू से अनेक lessons सीखे जा सकते हैं, अपार - असीम learnings है उनके जीवन की. आज यहां हम उनके जीवन और व्यक्तित्व के उन पहलुओं से कुछ सीखने का प्रयास करेंगे जो किसी भी स्टार्टअप के लिए पाँच effective tools हो सकते हैं, यह संख्या पाँच से कहीं अधिक भी हो सकती है लेकिन आज की कक्षा में हम केवल चार तक ही सीमित रखने का प्रयास करेंगे।

स्टार्टअप टूल #1 – दृष्टि नहीं, दूरदृष्टि (Vision Beyond Lifetime):
आचार्य भिक्षु की दृष्टि केवल किसी एक युग, एक जीवनकाल या एक पीढ़ी तक सीमित नहीं थी। अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना, कितने ही संघर्ष क्यों ना आए, उन्होंने एक ऐसी आध्यात्मिक व्यवस्था की कल्पना की, जो शुद्धाचार, संयम, सिद्धांत-केन्द्रित जीवन पर आधारित हो और काल के प्रवाह में स्थिर रहे। हर स्टार्टअप एक मजबूत विज़न से शुरू होता है। आचार्य भिक्षु का विज़न था — "शुद्ध, लौकिक-लोकत्तर साधना आधारित जैन धर्म की स्थापना।" वे रूढ़ियों से भरे समाज में शुद्धाचार की कल्पना लेकर उठे। उन्होंने कहा — "मैं संप्रदाय नहीं, सिद्धांत स्थापित कर रहा हूँ।"
जब उन्होंने तेरापंथ की नींव रखी, तो यह कोई आंदोलन नहीं था — यह एक विचार का जीवंत अवतरण था। उन्होंने नारा नहीं दिया, उन्होंने नवजीवन दिया। भिक्षु का स्टार्टअप केवल अपने जीवन तक सीमित नहीं था। उन्होंने ऐसा तंत्र बनाया जो सदियों तक चले — "एक गुरु और एक विधान" यह कोई नारा मात्र नहीं था, यह कॉर्पोरेट गवर्नेंस का आदर्श मॉडल था। 
उनका विजन 1 वर्ष - 10 वर्ष या 100 वर्षों का नहीं था उनका विजन आने वाले कई सैकड़ो वर्ष तक के लिए था, जो उनकी मर्यादाएं आज से करीब पौने तीन सौ वर्ष पूर्व बनी, वे आज भी धर्मसंघ को मजबूत आधार देती हैं, सार्थक सिद्ध होती हैं.

यही कारण है Tata Group (India) – 150 वर्षों की विश्वसनीयता का विज़न
जमशेदजी टाटा ने 1868 में एक सपना देखा — भारत को एक औद्योगिक महाशक्ति बनाना। लाइफटाइम से आगे की सोच: उन्होंने जो कंपनियां शुरू कीं, वे केवल मुनाफे के लिए नहीं थीं। उन्होंने इस्पात, शिक्षा (IISc), होटल, बिजली, और चैरिटी के क्षेत्र में स्थायी योगदान किया। आज: Tata Group 100 से अधिक देशों में काम करता है, 20+ इंडस्ट्रीज़ में सक्रिय है, और जनता के दिलों में आज भी सबसे विश्वसनीय ब्रांड माना जाता है।

स्टार्टअप टूल #2 शून्य संसाधन में हसल (Hustle Without Resources):
आज की भाषा में कहें तो आचार्य भिक्षु ने zero investment startup शुरू किया। कोई संसाधन नहीं, कोई पद नहीं, और शुरू में तो कई बार भोजन और शरण भी नहीं मिलती थी। लेकिन उनके पास था — दृढ़ संकल्प। वे गाँव-गाँव, नगर-नगर घूमते; एक-एक व्यक्ति को समझाते — “धर्म की व्याख्या शास्त्र से हो, व्यक्तियों की सुविधा से नहीं।” कभी भूख, कभी तिरस्कार, कभी अपनों से ही विरोध — पर आचार्य भिक्षु न रुके, न झुके। उन्होंने संघर्ष से सौंदर्य की साधना की। सदैव पैदल चलकर गांव-गांव में धर्म का संदेश, कभी भूखे रहकर सिद्धांतों के लिए संघर्ष — भिक्षु ने अपने startup को प्रचार से नहीं, परिश्रम से बढ़ाया। जैसे Airbnb के फाउंडर्स ने अपने पहले ग्राहकों को खुद कॉल किया — वैसे ही भिक्षु ने हर अनुयायी को खुद समझाया, शुरुआत में स्वामी जी ने पाली, जोधपुर आदि कई गाँव शहर के श्रावकों को रात रात भर जाग कर सही क्या है और क्या नहीं ये बताया, समझाया. Airbnb – बिना होटल, बना दुनिया का सबसे बड़ा हॉस्पिटैलिटी स्टार्टअप. शुरुआत हुई 2007 में, Brian Chesky और Joe Gebbia के पास किराया देने के पैसे नहीं थे। संसाधन के नाम पर केवल एक एयर मैट्रेस और एक वेबसाइट। हसल किया, खुद डिज़ाइन किए पोस्टर, खुद मेल भेजे, खुद पहले गेस्ट को होस्ट किया। बिना किसी संपत्ति के एक ग्लोबल हॉस्पिटैलिटी बिज़नेस बना डाला।

स्टार्टअप टूल #3 समर्पित कोर टीम - सुदृढ़ संस्कारी निष्ठावान शिष्य सम्पदा (Founding Team with Values):
चंद संतों की एक छोटी टीम। हर एक पूर्णतः अनुशासित, तपस्वी, निष्ठावान, विचारशील। न बोनस, न प्रमोशन — बस वैचारिक निष्ठा। हर स्टार्टअप की नींव होती है — एक समर्पित टीम। आचार्य भिक्षु ने साधारण व्यक्तियों को असाधारण साधक बनाया। उनकी टीम के साधु सिर्फ अनुयायी नहीं थे — वे सिद्धांत-सेनानी थे। अनुमान लगाइए कि आज से करीब पौने तीन सौ वर्ष पूर्व कुछ अलग-अलग संप्रदायों के संत आचार्य भिक्षु की वैचारिक बुद्धिमत्ता को समझ कर उनके साथ देते हैं, सर्दी, गर्मी, बरसात भोजन मिला या नहीं मिला, 13 मिले, उनमे से भी कुछ चले गए, लेकिन जो बचे - मुनि थिरपाल जी, मुनि फतेहचंद जी, मुनि भारीमाल जी, मुनि हरनाथ जी और मुनि टोकर जी - वो अखंड श्रद्धा से जुड़े, किसी भी परिस्थिति में वे साथ नहीं छोड़ते हैं तो हमें दोनों पक्षों से यह समझने की बात है आचार्य भिक्षु की लीडरशिप कैपबिलिटी यानी नेतृत्व क्षमता और साथ ही साथ उनके सहयोगी संतों की आचार्य भिक्षु के प्रति, उनके विचारों के प्रति इतनी प्रगाढ़ श्रद्धा जिसे कोई हिला न सका. जब तक इस तरह की समर्पित कोर टीम ना हो, किसी भी स्टार्टअप के विचार को आगे बढ़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा होता है. 

जैसे Apple की शुरुआती टीम Steve Jobs की सोच में रमी थी, वैसे ही ये समर्पित संतों का टोला भिक्षु की सोच में समा गया था। Apple की शुरुआती टीम में Steve Jobs, Wozniak जैसे सीमित मगर समर्पित लोग थे, जिन्होंने कंपनी को मौलिकता और गुणवत्ता से सींचा। आचार्य भिक्षु की टीम भी वैसी ही — छोटी, मगर वैचारिक रूप से दृढ़।

Startup Tool #4 : जोखिम लेने की क्षमता (Risk-Taking Capability)

"जहाँ डर होता है, वहाँ नवाचार नहीं होता।
और जहाँ विश्वास होता है, वहाँ जोखिम अवसर बन जाता है।"

आचार्य भिक्षु के जीवन में जोख़िम (Risk) का जो स्तर था — वह किसी भी आधुनिक स्टार्टअप संस्थापक से कम नहीं था। उनका हर निर्णय परंपरा, समाज और व्यवस्था के खिलाफ था — फिर भी उन्होंने सत्य और सिद्धांत के लिए जो रिस्क उठाए, वो आज के बिजनेस वर्ल्ड में भी प्रेरणा बन सकते हैं।

सामाजिक जोख़िम: पूरी परंपरा से अलग होना, हजारों वर्षों से चली आ रही व्यवस्थाओं को चुनौती देना — यह कोई छोटा निर्णय नहीं था।
व्यक्तिगत जोख़िम: बिना अनुयायी, सिमित साधक, सिमित साधन, तपस्वी पथ पर चलना।
आंतरिक जोख़िम: आंतरिक द्वंद्व, समाज से बहिष्कार का डर — फिर भी अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सर्वोपरि रखा।

सिद्धांत इतने खरे की जान के जोखिम से भी बढ़कर - "मर पूरा देस्यां, पर आत्मा रा कारज सार स्यां" आचार्य भिक्षु ने दिखाया कि अगर आप सिद्धांतों पर अडिग हैं, तो जोख़िम भी एक साधना बन जाता है।

आधुनिक उदाहरण : 
Elon Musk (Tesla & SpaceX) जोख़िम: अपनी कमाई का सारा पैसा SpaceX और Tesla में लगा दिया। एक समय ऐसा आया जब दोनों कंपनियां बंद होने की कगार पर थीं। आज दोनों कंपनियां दुनिया की सबसे इनोवेटिव कंपनियों में शामिल हैं।

Dhirubhai Ambani (Reliance) जोख़िम: एक नौकरी (stable आजीविका) छोड़कर व्यापार में कूद जाना। बिना पृष्ठभूमि, बिना कॉन्टैक्ट्स — सिर्फ सपने और संघर्ष के साथ। आज Reliance भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है।

Kiran Mazumdar Shaw (Biocon) जोख़िम: 1978 में, एक महिला द्वारा बायोटेक कंपनी खोलना अपने-आप में एक बड़ा जोखिम था। न बैंक लोन मिल रहा था, न समाज का समर्थन। Biocon अब ग्लोबल स्तर पर दवाओं का निर्माण करती है।

“भय त्यागो, विचार पकड़ो — फिर जोख़िम भी अवसर बन जाएगा।” यही भिक्षु शैली है, यही स्टार्टअप का असली साहस है।

स्टार्टअप टूल #5 ज्ञान की डॉक्यूमेंटेशन (Knowledge = Legacy):

हर सफल संस्थापक अपनी सोच को स्थायी बनाना जानता है। आचार्य भिक्षु ने भी यही किया। उनके 38,000 से अधिक पद्य, पत्राचार, और ग्रंथ — किसी भी आधुनिक स्टार्टअप के "knowledge repository" की तरह हैं। आप और हम अनुमान नहीं लगा सकते हैं, आज से करीब पौने 300 वर्ष पूर्व अतिअल्प, अतिसीमित संसाधनों से असीमित ज्ञान का भंडार आचार्य भिक्षु ने किस तरह से खोज निकाला होगा और केवल खोजा ही नहीं, वह इतना विस्तृत ज्ञान था जो आज भी समसामयिक है. हर शब्द अनुभव से उपजा। यह थे उनके विजन डॉक्युमेंट, जिन्हें आज भी पढ़कर मार्गदर्शन मिलता है। अगर आचार्य भिक्षु आज होते, तो शायद सिलिकॉन वैली में उन्हें “Spiritual Startup Guru” कहा जाता। उन्होंने एक विचार से संस्था बनाई, संस्था से व्यवस्था बनाई, और व्यवस्था से परिवर्तन लाया। उनके टूल्स केवल धार्मिक नहीं थे — वे आज के समय में भी किसी युवा उद्यमी के लिए लाइटहाउस की तरह हैं।

पुनः एक बार आचार्य तुलसी के शब्दों से ही 

नवपदार्थ अनुकम्पा, श्रद्धाचार, ब्रताव्रत चौपाई, 
बारहब्रत, निक्षेप, विनीत, विपुल साहित्य पढ़ो भाई! 
हो संतां, भिक्खू - दृष्टान्त तो हियड़े रो हार हो ।। 

लिखी शील री बाड़, रास टाठठोकर एकल री ढ़ालां, 
आगम रा आख्यान, थोकड़ा सावधान हो समझावां, 
हो संतां, अपणै जुग रा सर्वोत्तम सिरजणहार हो ।। 

जैसे Google अपनी रिसर्च सबके साथ शेयर करता है, भिक्षु ने भी अपने विचार जन-जन तक पहुंचाए। Google केवल सेवा नहीं देता — वह विचार भी गढ़ता है। उसकी R&D और open knowledge platforms आधुनिक समय के वैचारिक दस्तावेज हैं, जैसे भिक्षु स्वामी के ग्रंथ। तेरापंथ का जन्म एक धार्मिक disruption था, एक क्रांति थी, पर विद्रोह नहीं था — यह मर्यादा और अनुशासन के साथ हुआ। हर इनोवेशन, अगर अनुशासन के साथ न हो, तो वह अव्यवस्था फैलाता है।

जब पूरा विश्व फंडिंग की होड़ में है, आचार्य भिक्षु ने सिखाया — "सफल स्टार्टअप वह नहीं जो दिखता है, बल्कि वह है जो टिकता है।"

क्लास का अंतिम क्षण — जब ज्ञान मौन में उतरता है.
कक्षा अब शांत है। हर चेहरा गंभीर और चिंतनशील।

प्रोफेसर जॉन रे कुछ पलों तक विद्यार्थियों को निहारते हैं — फिर बोलते हैं, "तुम सबने स्टीव जॉब्स, एलन मस्क और जेफ बेज़ोस के स्टार्टअप्स के बारे में पढ़ा है। वे बदलाव लाए — टेक्नोलॉजी में।
पर आज, मैं तुम्हें उस व्यक्ति से मिलवाना चाहता था जिसने बदलाव लाया — चेतना में।
एक संत जिसने सिस्टम बनाया, और सिस्टम से समाज गढ़ा। जिसने न सिर्फ अनुयायी बनाए, बल्कि मूल्य आधारित नेतृत्व की मिसाल कायम की। और ध्यान रखना — उन्होंने ये सब किया बिना ऑफिस, बिना बजट, बिना ब्रांड। बस सिद्धांत, साधना और समर्पण से।"
छात्र अब नोटबुक बंद कर चुके हैं। लेकिन उनके भीतर विचारों की किताबें खुल चुकी हैं।
प्रोफेसर चलते-चलते रुकते हैं, पीछे मुड़कर मुस्कराते हैं — "अगर तुममें से कोई अगला टेस्ला या गूगल खड़ा करना चाहता है, तो ये ज़रूरी नहीं कि तुम्हारे पास फंडिंग हो, लेकिन ज़रूरी है कि तुम्हारे पास फाउंडेशन हो।
और अगर कोई पूछे — 'आध्यात्मिक नेतृत्व में स्टार्टअप कैसे होता है?'
तो कह देना... 'सीखो स्टार्टअप — आचार्य भिक्षु से।'"

आचार्य भिक्षु का जीवन हमें यह सिखाता है कि आध्यात्मिकता और उद्यमिता को एक साथ लेकर चलना संभव है। उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं और हमें अपने जीवन में अनुशासन, समर्पण और नैतिकता के महत्व को समझने की प्रेरणा देते हैं।…

Unicorn बनाना आसान है,
लेकिन आचार्य भिक्षु जैसा 'Unshakable Startup' बनाना — वही सच्चा उद्यम है।”

श्रैयाँस कोठारी

(यह आलेख युवादृष्टि के जुलाई, 2025 के अंक में भी प्रकाशित हु है)

Comments

  1. शानदार। कोई सानी नहीं, लखदाद।

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  2. Jai jinendra🙏

    आपका लेखन अद्भुत है! हर शब्द में एक कहानी है, और उसे पढ़ने में बहुत आनंद आता है।
    जिस तरह से आपने Corporate world के context में आचार्य भिक्षु को व्याख्यित किया है , ऐसा लगा आचार्य भिक्षु केवल एक आध्यात्मिक संत पुरूष ही नहीं बल्कि एक बहुत ही सफल और दूरदर्शी Entrepreneur भी थे। Metaphors का आपका उपयोग शानदार है। Your writings are an inspiration for us... Thank you so much

    Regards:
    Puja Ritu Bothra

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  3. Grand narrative on life sketch of Acharya Bhikshu,A legacy which he inherited from Lord Mahavir's tenet Jinwani(आगम)
    His slogan
    " हे प्रभु यह तेरापंथ" Terapanth it's Pontifs Acharyas since last three centuries working for spitural development of mankind.
    M C Mehta

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  4. Shreyans has really written in a very special way but in a beautiful style this article on Acharya Bhikshu. Commendable effort . I enjoyed reading it and appreciated it. Congratulations to him.
    Thanks to Mariada ji for sharing it.

    B C Lodha

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  5. Too good an article. Very crisp n clear compilation, of Acharya Bikshu- a Start up. Every effort is made to ensure it stands to the present qualification of a STARTUP.
    👍🙏👍

    पन्नालाल जी टांटिया

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  6. आचार्य भीखु की जीवन गाथा वास्तव में एक अद्वितीय और प्रेरणादायक कथा है, जो जैन धर्म के महान तीर्थंकर भगवान महावीर की शिक्षाओं पर आधारित है। आचार्य भीखु ने तेरापंथ की स्थापना की, जो एक महत्वपूर्ण जैन संप्रदाय है, जो आध्यात्मिक विकास और मानव कल्याण के लिए समर्पित है।

    आचार्य भीखु के जीवन और उनके द्वारा स्थापित तेरापंथ संप्रदाय ने पिछले तीन सदियों से मानवता की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। तेरापंथ के आचार्यों ने आध्यात्मिक ज्ञान, नैतिकता, और सामाजिक सेवा के माध्यम से समाज को प्रबुद्ध करने का कार्य किया है।

    आचार्य भीखु का स्लोगन "हे प्रभु यह तेरापंथ" आज भी तेरापंथ संप्रदाय के अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी विरासत और शिक्षाएं हमें आध्यात्मिक विकास, आत्म-संयम, और परोपकार के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।🙏🙏

    एम सी मेहता.

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  7. Very well written. Each point written gives new direction and different perspective to grow in both spiritual and social life.

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