भारत संगीत कला और रहस्यों का विश्वविद्यालय
“जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा वो भारत देश है मेरा”
ये पंक्तियां भारत की प्राचीन संस्कृति , गौरव और कला को बताती है
भारत वर्ष में “साम वेद “ को भारतीय संगीत का जनक माना जाता है , भारतीय संगीत इतनी गहराई और उचाई लिए हुए है की उसे आध्यत्मिक , सामाजिक और आर्थिक जीवन के सभी पक्षों से जोड़ा गया है। संगीत भारतीय जन जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है चाहे रामायण काल हो या महाबारत युग हो या जैन तीर्थंकरों का प्राचीन इतिहास ,सभीकाल खंडों में देखते है कि संगीत उतरोतर विकसित हुआ है।
भारत भिन्न- भिन्न प्रदेशों का देश है, हर राज्य की अपनी संगीत शैली है जो भारतीय संगीत में विविघता के साथ साथ मधुरता भी प्रदान करती है। भारत में अलग -अलग राज्य में संगीत का अपना अलग ही अन्दाज़ है जैसे कर्नाटक , तमिलनाडु का संगीत शुद्ध शास्त्रीय गायन का उत्कृष्ट उदाहरण है तो गुजरात का गरबा लोक संगीत की पराकाष्ठा है, उत्तरप्रदेश्ग की कव्वाली परंपरा और रामलीला मंचन , आम जन को संगीत के साथ साथ धर्म से भी जोड़ता है. उत्तर पूर्व का नदी के समान बहता कलकल संगीत , बंगाल की धरती का रविन्द्र संगीत, पहाड़ी भूमि का खनकता संगीत , समुद्री तटीय प्रदेशों का जन-जीवन संगीत .पंजाब - हरियाणा का यौवन से भरपूर संगीत , राजस्थान का विरह वेदना लिया हुआ संगीत . सभी संगीत विधा अपने आप में अलग है , अनोखी है और एक ग़ुलदस्ते के रूप में भारतीय संगीत को प्रस्तुत करती है।
भारत में संगीत के विविध आयाम देखने को मिलते है, यथा शास्त्रीय संगीत ,सुगम संगीत , अर्ध- शास्त्रीय संगीत , सूफ़ी , भजन , लोक संगीत , ठुमरी , दादरा , टप्पा, आदिवासी, जन जातीय संगीत आदि . भारत में संगीत घरानों में भी पनपा और विकसित हुआ है यथा पटियाला ,जयपुर , इंदौर , गवालियर , बनारस ,आगरा , किराना घराना इत्यादि , इन सभी घरानों में गुरु-शिष्य परंपरा से भारतीय संगीत को सहेजा और विकसित किया गया है। आध्यात्मिक रहस्यों और तांत्रिक विधि विधान में भी मंत्रो का लय -बद्ध उच्चारण भी संगीत का ही एक रूप है।
प्राचीन युग में भारत मुनि के नाट्य शास्त्र की रचना को संगीत -नाटक का प्रथम ग्रन्थ माना जाता है। शारंगदेव ने संगीत रत्नाकर की रचना की। मध्य युग में महान संगीतज्ञ गुरु हरिदास और उनके शिष्य तानसेन , बैजू बावरा , भक्ति परंपरा में कबीर , मीरा , सूरदास , रैदास और तुलसीदास जी , सूफी परम्परा में अमीर खुसरो , इन सब ने भारतीय ंसंगीत की लौ को विषम परिस्थियों में भी जलाये रखा। आधुनिक काल खंड में लता मंगेशकर , पंडित भीमसेन जोशी , बड़े गुलाम अली खां , पंडित रवि शंकर , पंडित हरी प्रसाद चौरसिया , पंडित शिव कुमार शर्मा , एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी, भूपेन हज़ारिका ,बेगम अख्तर , जगजीत सिंह, कुमार गन्धर्व, पंडित जसराज , खेमचंद्र प्रकाश , अमज़द अली खां , बिस्मिल्ला खां , रमाकांत - उमाकांत गुंदेचा और भी अनेको अनेको नाम है जिन संगीत मर्मज्ञों ने न केवल भारतीय संगीत परंपरा की जीवित रखा वरन नई उचाईया देकर जन जन तक पहुंचाया है। संगीत भारत को जोड़ने की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
इन सबका सम्मलित रूप भारत को संगीत और संगीत रहस्यों का विश्व विद्यालय बनाता है। जो कि विश्व में अनुपम और अद्भुत है।
प्रेक्षा कोठरी भंडारी
जोधपुर
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