दिल की गिरह खोल दो, चुप न बैठो"

 

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दिल की गिरह खोल दो, चुप  बैठो"

जिंदगी की परीक्षा जहां गिरना भी स्वयं को है और संभालना भी स्वयं को है  परीक्षा मात्र विद्यालयों या विश्व विद्यालयों में ही नहीं होती वरन जीवन के पग पग पर, प्रति पल , प्रतिक्षण परीक्षा से गुजरते है  अध्ययन काल में पाढ़्य पुस्तकों की परीक्षा , व्यवसाय में व्यवसायिक कुशलता की परीक्षा , सामाजिक जीवन में रिश्तों की परीक्षा और अध्यात्म के क्षेत्र में श्रद्धा की परीक्षा से गुजरना पड़ता है। इन सब पड़ावों को सफलता पूर्वक पार करने का मूल मंत्र है "दिल की गिरह खोल दो, चुप  बैठो" इस बात को हम राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के बचपन के प्रसंग से समझते हैं, बालक मोहनदास करमचंद गांधी किशोरावस्था में बुरी लतों का शिकार हो गए थे, अपनी कुछ गलत आदतों की संतुष्टि के लिए,  अपने भाई के सोने के कड़े से कुछ स्वर्ण चुरा लिया  बालक मोहनदास को अपनी गलती का अहसास भी था और ग्लानि भी थी , इसे दूर कैसे किया जाए , यह उनके लिए परीक्षा की घड़ी थी  पिता श्री करमचंद गांधी से सजा मिलेगी एवम् उनको दुख होगा यह भी भय था  बालक मोहनदास ने अपने दिल की वेदना प्रकट कर पिताजी को पत्र लिखा और गलती स्वीकार की , भविष्य में इस तरह की भूल नहीं होगी यह भी प्रतिज्ञा की  पिताजी ने पत्र पढ़ा , मौन रहे , आंखो से अश्रु धारा बह निकली। बालक मोहनदास को जीवन धारा पिताजी के मौन ने बदल दी। जीवन मूल्यों की परीक्षा में पास होकर गांधी जी महा मानव बन गए।

हमे तकलीफ हो, दुख हो , गलती हो, गलत निर्णय हो जाए, दूसरे की कोई बात चुभ जाए, व्यवहार चुभ जाए, संबंधों में दरार  जाए , संबंधों में सौहार्द कम हो जाए , निर्णयों में असमंजसता  जाए, पढ़ाई में विषय समझ  आए, व्यापार में उतार चढाव आए , धर्म में श्रद्धा डिग जाए और  विश्वास डोल जाए, ये सभी परीक्षा की घड़ियां होती है। इन सबसे निकले का सर्वोत्तम उपाय है " दिल की गिरह खोल दो, चुप  बैठो"  इसको हम पुनः गांधी जी के जीवन प्रसंग की घटना से समझते हैं " गांधी जी के एक बहुत ही निकटतम मित्र थे- रुस्तम जी ,

जो एक प्रसिद्ध व्यापारी थे। मित्रता के साथ-साथ वो गांधी जी के मुवक्किल भी थे। उनका भारत भर में  व्यापार था। व्यापार में वे चुंगी  की चोरी करते थे , गांधी जी से  यह बात छिपी हुई थी। एक दिन उनकी यह चोरी पकड़ी गई एवम् उन्हें जेल जाने की स्थिति बन गई। वे भागे- भागे गांधी जी के पास आए और मदद करने की गुहार की  गांधी जी चोरी की इस बात पर बहुत रूष्ट हुए और इस परिस्थिति में कोई सहायता करने से साफ मना कर दिया। गांधी जी ने उन्हे परामर्श दिया - जाओ और चुंगी अधिकारी के पास अपना गुनाह कबूल करो भले ही तुम्हें कारावास हो जाए। रुस्तम जी,  गांधी जी का परामर्श  मानकर चुंगी अधिकारी से मिले  और सब सच बता दिया। अधिकारी ने उनकी स्पष्टवादिता से प्रसन्न होकर कारावास का विचार त्याग दिया और आर्थिक जुमार्ना लगाकर  छोड़ दिया। रुस्तम जी ,गांधी जी की इस सीख से बहुत प्रभावित हुआ और भविष्य में किसी प्रकार की टैक्स चोरी  करने की प्रतिज्ञा ली। यह है " दिल की गिरह खोल दो, चुप  बैठो" का जीवंत उदाहरण। 

यक्ष प्रश्न है की हृदय किसके सामने खोले , किससे परीक्षा की घड़ी में विकटता साझा की जाए, क्योंकि यह प्रबल संभावना रहती है कि साझीवाल ही साथ  झोड़ दे। 

सर्वप्रथम अपने निकटतम परिवारिक जन( पत्नी, भाई,बहन इत्यादि) से आप समस्या बताए। आपका परिवार इस बड़े जगत में आपका अपना छोटा संसार है, जो आपको कभी नापास होने नही देगा  अनिल अंबानी पर जब विपदा आई तो मुकेश अंबानी ( चाहे लाख मतभेद हो) ही उसकी सहायता के लिए आगे आए। 

आपके पारिवारिक मित्र गण से भी आप दिल की बात कह सकते हैं। इससे मानसिक तनाव कम होगा, आत्मविश्वास बढ़ेगा और समस्या का समाधान भी होगा, विभीषण और सुग्रीव ने भगवान राम के सामने अपना दिल खोला और समस्या का निदान पाया  

अध्ययन में ध्यान रखें, जिस विषय में कमजोर हो, समझ कम  रहा हो,तो दिल खोलकर संबंधित शिक्षक या विषय निष्णांत से उसे समझने - जानने का प्रयत्न अवश्य करें, यह  सोचे कि बाकी विद्यार्थी क्या कहंगे , अपनी कमी सुधार कर विद्यालय - विश्व विद्यालय की परीक्षा उत्तम रूप से पास करे  

सामाजिक और आर्थिक व्यवहार में कोई कठिनाई हो तो संबंधित व्यक्ति से खुले मन से बात करे, गलतफहमी दूर करे  सामाजिक परीक्षा में पास होने पर ही जीवन सरस और समरस बनता है। 

धर्म के क्षेत्र में जहां श्रद्धा विचलन हो , अपने गुरुजनों से समाधान प्राप्त करे, तत्व समझे अन्यथा कई बार छोटे छोटे वहम हमे श्रद्धा से विचलन कर देते है ।मुक्त मन से अध्यात्म और नैतिकता आपको जीवन में सत्य के निकट ले जाएगी। 

जिंदगी की परीक्षा या परीक्षा की जिंदगी 

हर पल हर क्षण परीक्षा लेती है जिंदगी ।।

सब्र ,स्नेह , समझ से खोले दिल के तार 

तभी विरह में खुशी  दे जाएगी जिंदगी ।।

जिनेन्द्र कुमार कोठरी

अंकलेश्वर

Comments

  1. Nicely written article Kothari ji. Hearty congratulations. 👍, Dr. C K Giriya

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  2. आपने बेहद उत्साहित विषय पर प्रकाश डाला है। लेखनी भी हिंदी भाषा की अदभुत गरिमा लिए हुए है। गांधीजी के उदाहरण एकदम सटीक हैं।
    अभिनंदन जिनेन्द्र जी 🙏 shri Ravi jain through whats app

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  3. Very nice article dear...
    Congratulations👏👏 , Pankaj Bharwada

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  4. Very Nice article 👍, Mohamad bhai

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  5. Bahot Sundar Hai, aap ke vichar aur lekhan.
    Very Nice.
    Heartiest Congratulations 🎉. H R Shah

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  6. Very nice article in easy and simple language.. Smt.Premlata Nahar

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  7. ज़िंदगी को सरल एवं सुंदर बनाने के नुस्खे👌 shri A M surana

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  8. Venting is very important with a right mentor Shri V K Neema

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