व्यथा नहीं व्यवस्था करें
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली और इन दिनों पिछले कुछ समय से कई लोगों ने यह कदम उठाया जैसे कि केफे कॉफी डे के मालिक सिद्धार्थ , थानेदार भागीरथ विश्नोई एवं अन्य कई सैना में सेवारत अधिकारियों व पुलिस विभाग के अधिकारीयों , प्रासाशनिक व राजस्व सेवा के अधिकारियों , विद्यार्थीयों , किसानों आदि ने कई लोगों ने यह कदम उठाया। क्यों उठाया ? यह विचारणीय प्रश्न है। आत्महत्या आदमी तब करता है , जब उसे अपने सारे दरवाजे बंद नजर आते हैं। उसे लगता है अब कोई उम्मीद बाकी नहीं रही जीने से मरना बेहतर के है। अंत में फिर उसको यही कदम उठाना सबसे सरल और सही लगता है। इतना अवसाद में - तनाव के साथ डर , भय , आशंका में घिर जाता है कि उसे बाहर निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आता। यह चक्रव्यूह है , इस चक्रव्यूह में से निकलना हर एक के बस का नहीं है। अभिमन्यु भी चक्रव्यूह में घुसना जानता था पर बाहर निकलना नहीं। मैं यह सोचता हूं इन सब के पास समस्याएं एक जैसी भी नहीं हैं ; सब की समस्याएं अलग-अलग होती हैं। लेकिन जब कोई पद पर रहते हुए या कोई सेलिब्रिटी या कोई बड़ा धनिक आत्महत्या जैसे क...