कोविड-19 के पश्चात आर्थिक - सामाजिक एवं राजनीतिक परिदृश्य
इस वक्त सारे विश्व में कोविड-19 महामारी का प्रकोप फैला हुआ है, विश्व के अधिकांश राष्ट्र इसकी चपेट में है एवं आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित हुए हैं। आर्थिक रूप से हम बात करें तो सबसे पहले हमें अर्थशास्त्र की एक सर्वोत्तम व्याख्या को जानना होगा "अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसके माध्यम से सीमित संसाधनों से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है" इसका अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति की आय व संसाधन सीमित होते हैं और उनका संयोजन या उपयोग इस प्रकार करना कि व्यक्ति अपनी अधिकतम मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। अर्थशास्त्र के इसी मूल सिद्धांत में कोविड-19 के पश्चात की सामाजिक - आर्थिक व्यवस्था छिपी हुई है, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए की अर्थव्यवस्था व समाज व्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारक महामारी है न की कोई आर्थिक कारण। कुछ सुझाव या परिदृश्य जो मुझे दृष्टिगोचर हो रहे हैं वह आपके साथ बांट रहा हूं।
१. सरकारों के कामकाज तथा
निर्णय लेने की क्षमता में परिवर्तन आएगा,
सरकार राज्य की हो या केंद्र की, बेहतर
तालमेल से कार्य करेंगे तथा त्वरित निर्णय लिए जाएंगे ऐसी उम्मीद की जा सकती है। भारतवर्ष
में नौकरशाही अधिक संवेदनशील होगी एवं सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं पर जैसे कि
सड़क निर्माण, पुल निर्माण इत्यादि अन्य कार्य मनरेगा के माध्यम
से या प्रत्यक्ष करवा कर अधिक से अधिक श्रमिकों को जो कि भारत की एक बहुत बड़ी
जनसंख्या है, उसे रोजगार प्रदान करने का प्रयास करेगी, इससे
न केवल अर्थव्यवस्था में गतिशीलता रहेगी (चाहे वह थोड़ी धीमी ही हो) तथा उत्पादन
एवं उपभोग का चक्र भी चलता रहेगा।
२. सरकारों को वित्तीय
अनुशासन में कार्य करना होगा, बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों एवं घरेलू स्तर पर भी
वित्तीय नियंत्रण, वित्तीय अनुशासन बहुत ही आवश्यक है। कोविड-19 के
पश्चात कितने समय में अर्थव्यवस्था पटरी पर आती है यह इस बात पर निर्भर करेगा कि व्यक्ति, समाज एवं सरकार कितने सामाजिक एवं आर्थिक अनुशासन में कार्य
करेंगे। आवश्यक वस्तुओं का
उत्पादन एवं उपयोग प्राथमिकता रहेगी,
लग्जरी वस्तुओं की मांग और
उत्पादन में कमी आएगी अत:
इसी दृष्टिकोण से व्यापारिक,
औद्योगिक एवं घरेलू नीतियां बनानी
होंगी।
३. केंद्र और राज्य
सरकारों को व्यापारिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में कर राहत देनी होगी, जीएसटी की दरों में कमी, एक ही
दर का निर्धारण, पेट्रोल भी जीएसटी में लिया जाए इत्यादि कुछ क्रांतिकारी परिवर्तन करने
होंगे। केंद्र सरकार को राज्य सरकारों को उद्योग स्थापना एवं वित्तीय नियंत्रण
पर अधिक स्वायत्तता देने से उद्योग स्थापना को अधिक राहत मिलेगी। व्यापार - उद्योग
तथा सामान्य नागरिक के रोजमर्रा कार्यों में लालफीताशाही जितनी कम से कम हो,
नौकरशाह जितने आमजन और उद्योगों
के मित्र बने इससे ही कोविड-19 के पश्चात एक नए भारत का निर्माण संभव है।
४. कोविड - 19 के पश्चात
दुनिया में जो सबसे बड़ा परिवर्तन होगा वह होगा तकनीक का (टेक्नोलॉजी का)
अधिकतम उपयोग, ई-कॉमर्स, ऑनलाइन
मीटिंग, वीडियो कॉलिंग, ऑनलाइन शॉपिंग,
दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस एजुकेशन)
इन सब में बढ़ोतरी होगी। व्यक्ति
अपने परिवार का और समाज का महत्व अधिक समझेगा, परिवारों में निकटता
बढ़ेगी।
अगले कुछ समय में मुझे ऐसा
लगता है, एक या डेढ़ वर्ष तक बड़े-बड़े शादी - समारोह भोज
एवं अन्य आयोजनों में कमी आएगी और भारतीय समाज व्यवस्था के दो महत्वपूर्ण अंग सादगी
एवं मितव्ययता प्रतिस्थापित होंगे। उद्योग व्यापार न्यूनतम श्रमिकों के साथ
कार्य करेंगे, घर से कार्य (वर्क फ्रॉम होम) अधिक से अधिक
प्रोत्साहित होगा तथा कार्य को कम से कम श्रम के साथ कैसे किया जाए उस पर भी
निरंतर शोधन चलता रहेगा। होटल उद्योग, सिविल
एवियशन, पर्यटन उद्योग, विदेश यात्राएं इन सब
क्षेत्रों में अगले एक से डेढ़ साल बहुत कठिन होने वाले हैं, इन
चीजों को ध्यान में रखकर ही भविष्य की योजनाएं बनाई जाए।
५. कृषि एवं असंगठित
क्षेत्र को अधिक संगठित एवं सुसंगत करना होगा। कृषि व्यवसाय में भारत की
सर्वाधिक जनसंख्या रोजगार पाती है लेकिन ये खेद के साथ कहना पड़ता है कि
स्वतंत्रता के 70 वर्ष पश्चात भी जितना यह क्षेत्र तकनीक संपन्न एवं स्वनिर्भर
होना चाहिए था, नहीं हो पाया,
अत: इस महामारी ने इस बात को
स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है की कृषि क्षेत्र में अधिक तकनीक, आधारभूत सुविधाओं एवं बेहतर विपणन की ओर प्राथमिकता से ध्यान देना होगा। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों
को भी संगठित जैसे पंजीकृत करना,
संगठित क्षेत्र जैसे सामाजिक
सुरक्षा प्रदान करना इत्यादि कदम
भी उठाने होंगे। हमने देखा कि लॉक डाउन में असंगठित श्रमिकों की समस्या सबसे
ज्यादा उभर कर आई इसका भी दीर्घकालीन समाधान ढूंढना आवश्यक है। हमें यह बात ध्यान
रखनी चाहिए कि कृषि एवं निर्माण कार्य में सर्वाधिक श्रमबल असंगठित क्षेत्र
का होता है, इसमें अगर तकलीफ आती है तो पूरा ही आर्थिक एवं
सामाजिक ढांचा प्रभावित होगा।
कोविड-19 महामारी निश्चित
रूप से मानव जीवन के प्रत्येक स्तर पर परिवर्तन लाएगी और मानव अपने बुद्धि कौशल से
इसमें सकारात्मक परिवर्तन करेंगे। इस महामारी को प्रकृति द्वारा दिया गया
एक संकेत मानिए, हमको यह अवसर प्रकृति ने दिया है कि मानव सभ्यता
अधिक मानवीय दृष्टि से एक दूसरे को देखे तथा भविष्य की सभ्यता का निर्माण
सह अस्तित्व एवं शांति के शाश्वत नियमों पर किया जाए ।
- जिनेन्द्र कुमार कोठारी
Very true analysis
ReplyDeleteThanks
Deleteआर्थिक व्यवस्था का सूक्ष्म विश्लेषण है।
ReplyDeleteहमे स्वनिर्भर एवम् सहनशील होना होगा।
दूरियां रखकर संगठित प्रयास करने होंगे।
प्रकृति का सम्मान करना होगा।
कनक कोठारी
Thanks , Covid 19 is a Global Problem and we all need to work hard, alone government cannot solve it
Deleteबहुत सुंदर विवेचन। बहुत सारे उपायों में इन बिंदुओं का भी समावेश करना होगा। लेखक द्वारा सूक्ष्म विवेचन उनकी पैनी व दीर्घदृष्टि को परिलक्षित करता है।
ReplyDeleteThanks , Covid 19 is a Global Problem and we all need to work hard, alone government cannot solve it
Deleteसमयोचित सोच एवं लेखन के लिए बधाई। इकोनामी के मुख्य पहलूओ पर अच्छे सुझाव है। क्या कोविड विपत्ति में वरदान बन सकता है?
ReplyDeleteयह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम कितने वितिय अनुशासन का पालन करते है, राजनैतिक मतभेद भुला कर देश हित में कार्य करना होगा, कठिन लगता है लेकिन मोदी है तो मुमकिन है
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