जिंदगी चलती रहे - यौवन बढ़ता चले
जिंदगी चलती रहे - यौवन बढ़ता चले कवि की पंक्ति से प्रारंभ करते हैं " निर्झर में गति है,जीवन है ,वह आगे बढ़ता जाता है ! लहरें उठती है , गिरती है ,तब यौवन बढ़ता आगे ,बढ़ता ही जाता है। चलना है, केवल चलना है ! जीवन चलता ही रहता है ! रुक जाना है मर जाना ही, निर्झर यह झड़ कर कहता है ! जीवन की उपमा नदी के कलकल प्रवाह से , समुंद्र की अथल गहराई से , वृक्ष के काल क्रम से और पानी के अनवरत झरने से की गई है। इन सबमे गतिशीलता और परिवर्तन के साथ सांमजस्य की क्षमता इनकी उपयोगिता बनाये रखती है , उपमित जीवन भी निरंतरता के साथ गतिशील रहे तभी जिंदगी की प्रांसगिकता है, तभी तो जिंदगी चलती रहे यौवन बढ़ता चले । यौवन का सम्बन्ध मात्र अवस्था से कतई नहीं है , वरन आपके स्वास्थय ( शारीरिक और मानसिक) , मन की सोच , सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश एवं शिक्षा से भी गहरा नाता है। Hit युवा Fit युवा वही है जो जिंदगी में नित नवीन चुनौतियों का सामना करते हुआ विकास करे। जीवन में सभी के उतार - चढ़ाव , कृष्ण -शुक्ल पक्ष , दुःख - सुख आते है उनका सकारात्मक ढंग ...