साधु का लक्षण
वर्तमान माघ महीने में जहां हरिद्वार में कुंभ की तैयारी है। वहीं प्रयागराज इलाहाबाद में माघ महोत्सव मनाया जा रहा है। वृंदावन में भी एक छोटा कुंभ मनाया जा रहा है। इसी भांति जैनो में तेरापंथ धर्म संघ का महाकुंभ मर्यादा महोत्सव भी माघ महीने में है। इन सब अवसरों पर साधु-संतों के बारे में और उनके दर्शनार्थ हजारों लाखों करोड़ों लोग वहां पहुंचते हैं। उनकी संतता व फक्कडपन को देखकर स्वयं भी संयमित होने का प्रयास करते हैं , मर्यादित होने का प्रयास करते हैं। ऐसे अवसरों पर हमें साधु के महत्व व उनके जीवन दर्शन का भी पता चलता है जो कि जानना हमारे जीवन के लिए भी बहुत जरूरी है। प्रस्तुत पापा जी श्री सोहनराज जी कोठारी (तेरापंथ प्रवक्ता , शासनसेवी , पूर्व न्यायाधीश) का लेख साधु के महत्व के बारे में है हम इस माघ महीने में इससे प्रेरणा लेकर हममें भी संत भाव आये , ये काम्य है। - मर्यादा कुमार कोठारी। साधु सा ही साधे काया:- साधु शब्द की जो परिभाषा इस लोकोक्ति में मात्र दो शब्दों में प्रकट की गई है , वह सचमुच आश्चर्यकारी एवं विलक्षण है। भारतवर्ष में सभी सम्प्रदाय के लाखों साधु-सन्यासी रहते ...