☝🏼 एक छोटी सी कहानी मंजू (सास): “फिर से कोशिश कर रही हो?” संतोष : “हाँ… क्योंकि छोड़ देना मेरी फितरत नहीं।” कुछ समय बाद— वही काम उसकी पहचान बन गया। 👉🏼 जो चुपचाप कोशिश करता है, वही मिसाल बनता है। श्रैयाँस कोठारी
☝🏼 एक छोटी सी कहानी रंजीत : “Follow-up awkward लगता है।” रितेश : “ Hesitation ज्यादा महँगी पड़ती है।” 👉🏼 जो हिचकिचाता है, वह मौका छोड़ देता है और जो follow-up करता है, वही सौदा पक्का करता है। श्रैयाँस कोठारी
☝🏼 एक छोटी सी कहानी आरती: “गलती हो गई।” भावना: “अच्छा, आज कुछ नया सीखा।” जो गलती से डरता है, वह रुक जाता है जो गलती से सीखता है, वही आगे बढ़ता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी
☝🏼 एक छोटी सी कहानी आदित्य : “इस बार सच में नहीं किया।” रवि : “तू हर बार यही कहता है।” आदित्य चुप… पहली बार सच था, पर किसी ने माना ही नहीं। झूठा बनने में एक झूठ लगता है, पर फिर सच साबित करने में पूरी ज़िंदगी। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी
☝🏼 एक छोटी सी कहानी ऋतिका: “शुरुआत मुश्किल है।” श्रद्धा: “लेकिन सबसे ज़रूरी है।” जो शुरुआत मुश्किल होती है, वही आगे चलकर सबसे ज़्यादा क़ीमती बनती 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी
☝🏼 एक छोटी सी कहानी मीरा : “Motivation टिकता नहीं।” जीतू : “सही कहा… मैं तो अब उसे guest मानता हूँ।” मीरा : “फिर काम कैसे होता है?” जीतू : “ काम आदत करती है। Motivation आता-जाता है, आदत रोज़ हाज़िर रहती है।” 👉 ज़िंदगी जीतने वाले motivated नहीं होते— habitual होते हैं। ✨ 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी
☝🏼 एक छोटी सी कहानी निवृत्ति: “फालतू खर्च कैसे रोकूँ?” सखी: “हर खरीद से पहले पूछ— ज़रूरत है या बस मन ?” 👉 मन खर्च करवाता है, दिमाग बचाता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी