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एक छोटी सी कहानी 155

☝🏼 एक छोटी सी कहानी संगीता: “चलो, बारिश में बाहर भीगने चलते हैं!” रमेश (पति): “पागल हो क्या?” संगीता (हँसकर): “थोड़ा-सा पागलपन ही तो रिश्ते को ज़िंदा रखता है। ” 👉 रिश्ते में केवल समझ से नहीं, थोड़ी सी नादानी भी होनी चाहिए। ⛈️श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 154

☝🏼 एक छोटी सी कहानी मंजू (सास): “तेरी जीन्स मुझे अजीब लगती है।” ऋतिका (बहू, मुस्कुराकर): “और आपकी साड़ी मुझे संभालनी मुश्किल।” अगले दिन मंजू ने जीन्स पहनी, ऋतिका ने साड़ी… दोनों हँसीं — क्योंकि पहली बार उन्होंने एक-दूसरे की जगह महसूस की। 👉 रिश्ता तब मजबूत होता है, जब समझ बदलने की हिम्मत दोनों में हो।  💞 श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 153

☝🏼 एक छोटी सी कहानी रोहित: “प्रोजेक्ट फेल हुआ क्योंकि टीम सही नहीं थी।” कार्तिक (बॉस): “या शायद तैयारी सही नहीं थी ?” 👉 काबिलियत बहाने नहीं ढूंढती,  वह रास्ता ढूंढती है, और जिम्मेदारी उठाती है...  असफलता का पहला संकेत बहाना होता है। 😎श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 152

☝🏼 एक छोटी सी कहानी राशि: “लोग मुझे नीचा दिखाते हैं, कैसे जवाब दूँ?” साक्षी: “धैर्य से, क्योंकि ठंडा लोहा ही गर्म लोहे को आकार देता है ।” 👉 सहनशीलता हर वार का जवाब है।  ⚙️ श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 151

☝🏼 एक छोटी सी कहानी हरीश: “इतनी छोटी चिड़िया इतनी ऊँचाई कैसे उड़ती है?” ललित (पिता): “क्योंकि उसे आसमान पर नहीं, अपने पंखों पर भरोसा है।” 👉 जिसे खुद पर विश्वास हो, उसे मंज़िलें छोटी लगती हैं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 150

☝🏼 एक छोटी सी कहानी हितेश: “इतने दिन से एक ही दीवार बना रहे हो?” मजदूर (मुस्कराकर): “हर ईंट पिछले से सिखती है कि अगली कैसे रखनी है।” 👉 लगातार मेहनत साधारण को असाधारण बना देती है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 149

☝🏼 एक छोटी सी कहानी रोहित: “भाई, गज़ब है... तू इतना सफल कैसे हुआ?” सुमित: “जब मैंने दूसरों से आगे निकलने के बजाय, खुद से बेहतर बनने की ठान ली।” 👉 सच्ची सफलता तुलना में नहीं, परिवर्तन में है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी