☝🏼एक छोटी सी कहानी एक बुज़ुर्ग रोज़ बग़ीचे में नन्हे पौधे लगाता। एक युवक ने पूछा – “दादाजी, जब तक ये पेड़ बड़ा होगा, तब तक आप तो शायद…” बूढ़ा मुस्कराया और बोला – “बिलकुल, मैं इसका फल शायद न खा पाऊँ, लेकिन जब इसकी छाया किसी और को धूप से बचाएगी, वही मेरा फल होगा।” 👉🏼 सच्चा योगदान वो होता है — जो हमें याद न रहे न रहे, लेकिन जिससे हमें याद किया जाए। 👉🏼 हम जो छोड़ जाते हैं, वही असल में हम हैं... असली “legacy” यही है 👴🏼🌱🌳 श्रैयाँस कोठारी