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एक छोटी सी कहानी 195

☝🏼 एक छोटी सी कहानी आदित्य : “इस बार सच में नहीं किया।” रवि : “तू हर बार यही कहता है।” आदित्य चुप… पहली बार सच था, पर किसी ने माना ही नहीं। झूठा बनने में एक झूठ लगता है, पर फिर सच साबित करने में पूरी ज़िंदगी। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 194

☝🏼 एक छोटी सी कहानी ऋतिका: “शुरुआत मुश्किल है।” श्रद्धा: “लेकिन सबसे  ज़रूरी है।” जो शुरुआत मुश्किल होती है,  वही आगे चलकर सबसे ज़्यादा क़ीमती बनती  🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 193

☝🏼 एक छोटी सी कहानी मीरा : “Motivation टिकता नहीं।” जीतू : “सही कहा…  मैं तो अब उसे guest मानता हूँ।” मीरा : “फिर काम कैसे होता है?” जीतू : “ काम आदत करती है।  Motivation आता-जाता है,  आदत रोज़ हाज़िर रहती है।” 👉 ज़िंदगी जीतने वाले motivated नहीं होते— habitual होते हैं। ✨ 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 192

☝🏼 एक छोटी सी कहानी निवृत्ति: “फालतू खर्च कैसे रोकूँ?” सखी: “हर खरीद से पहले पूछ— ज़रूरत है या बस मन ?” 👉 मन खर्च करवाता है, दिमाग बचाता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 191

☝🏼 एक छोटी सी कहानी रिदित: “मैं शुरू तो कर देता हूँ, रुक जाता हूँ।” रिदम: “ रुकना आदत है, चलते रहना discipline । ” 👉 Discipline बहाने को हराता है— तुम्हें नहीं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 190

☝🏼 एक छोटी सी कहानी विवेक: “हां, हां, कल से शुरू करूँगा।” अमित: “ हर अच्छी आदत कल पर गई… तो आज कभी आएगा ही नहीं ।” 👉 Consistency आज से बनती है, कल से नहीं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 189

  ☝🏼 एक छोटी सी कहानी किरण : “हम दोनों परफ़ेक्ट नहीं हैं।” मनोज : “सही है… पर हम एक-दूसरे के लिए परफ़ेक्ट हैं।” 👉 रिश्ते परफ़ेक्ट होने से नहीं… एक-दूसरे को परफ़ेक्ट मानने से खूबसूरत बनते हैं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी