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एक छोटी सी कहानी 189

  ☝🏼 एक छोटी सी कहानी किरण : “हम दोनों परफ़ेक्ट नहीं हैं।” मनोज : “सही है… पर हम एक-दूसरे के लिए परफ़ेक्ट हैं।” 👉 रिश्ते परफ़ेक्ट होने से नहीं… एक-दूसरे को परफ़ेक्ट मानने से खूबसूरत बनते हैं। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 188

☝🏼 एक छोटी सी कहानी नेहा: “गलतियाँ हो जाती हैं।” रिचा: “तो गलतियों से सीख भी ले…   दोबारा होंगी ही नहीं ।” 👉 Growth mindset गलतियों से नहीं डरता, उन्हीं पर खड़ा होता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 187

☝🏼 एक छोटी सी कहानी अमित (पिता) : “मोबाइल कम कर।” आद्या: “ क्या करूँ फिर?” अमित: “ प्रतिदिन   पाँच पेज पढ़… दिमाग खुद चलेगा। ” 👉 जब दिमाग पढ़ना सीख जाता है, तब उसे चलाने के लिए किसी और की ज़रूरत नहीं पड़ती। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 186

☝🏼 एक छोटी सी कहानी गीता: “तुम मेरे तरीके से क्यों नहीं करती?” साक्षी - बहू (मुस्कराकर): “क्योंकि मैं आपके तरीके सीखते-सीखते… अपने तरीके भी बना रही हूँ ।” सास हँस पड़ी— “ चल, दोनों के तरीके मिलाकर घर चला लेते हैं । ” 👉 जहाँ मैं-तू कम, और “हम” ज़्यादा होता है… वहाँ घर नहीं, परिवार बसता है। 💛✨ 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 185

☝🏼 एक छोटी सी कहानी तनु : “छोटे-छोटे habits क्या बदलेंगे?” रिया : “दिन बदलेंगे… और दिन मिलकर जिंदगी ।” 👉 आदतें छोटी दिखती हैं, असर बहुत बड़ा होता है। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 184

☝🏼 एक छोटी सी कहानी वेदांत: “पापा, मैं इसमें अच्छा नहीं हूँ।” प्रदीप (पिता): “ अभी नहीं है… पर सीख लेगा तो हो जाएगा ।” 👉 Growth mindset का पहला कदम— ‘न’ को ‘अभी नहीं’ में बदल देना। 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 183

☝🏼 एक छोटी सी कहानी मीना : “नाना को समय कौन दे यार, काम बहुत है।” सीमा : “एक दिन वो समय नहीं मागेंगे… याद बन जाएंगे ।” 👉 “बुज़ुर्गों को दिया हुआ समय, जिंदगी भर पछतावे से बचा लेता है।” 🙏🏼श्रैयाँस कोठारी