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आचार्य श्री भिक्षु विचार दर्शन और अणुव्रत निदेशक तत्व

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                     आचार्य श्री भिक्षु विचार दर्शन और अणुव्रत निदेशक तत्व  तेरापंथ का  प्रवर्तन आचार्य श्री भिक्षु द्वारा विक्रम संवत १८१७ मे हुआ। आचार्य श्री भिक्षु , भगवान महावीर प्रवर्तित अहिंसा के महाभाष्यकार थे , उस युग की प्रचलित मान्यताओं के विपरीत, आपने भगवान की वाणी का सही स्वरूप प्रगट किया, इसी कारण से इसे भिक्षु दर्शन /तेरापंथ दर्शन कहा गया।  आचार्य श्री भिक्षु के नवमे पट्टधर आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से संयम,नैतिकता एवं व्यवहार शुद्धि का मार्ग जन जन को बताया । अणुव्रत दर्शन के निदेशक तत्व , मानो आचार्य श्री तुलसी ने भिक्षु स्वामी के दर्शन को युगीन भाषा मे प्रस्तुत किया ,ऐसा लगता है। अणुव्रत दर्शन के निदेशक तत्व आचार्य भिक्षु के विचारों का सार तत्व है। अणुव्रत दर्शन का प्रथम निदेशक तत्व है, "दूसरों के अस्तित्व के प्रति संवेदनशीलता". आचार्य श्री भिक्षु ने उस युग की प्रचलित मान्यताओं के विपरीत स्पष्ट घोषणा कि, बड़े जीवों की रक्षा के लिए छोटे जीवों का हनन किसी भी अपेक्षा से धर्म नहीं है। आ...

तलाक से परिवार पर असर: सिर्फ पति-पत्नी की बात नहीं है !

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  तलाक से परिवार पर असर: सिर्फ पति-पत्नी की बात नहीं है भारतीय सामाजिक परिवेश में विवाह मात्र  दो व्यक्तियों का मिलन नहीं है वरन् दो परिवारों और दो कुलों का भी संबंध है. जैन - हिंदू संस्कृति में विवाह जीवन का अनिवार्य अंग है, जन्म जन्मांतर का रिश्ता है। पाश्चात्य  सांस्कृतिक परिवेश में विवाह मात्र दो व्यक्तियों के साथ रहने मात्रा का संबंध है, आपसी मेल नहीं होने से स्वतंत्र होने की स्वतंत्रता सामाजिक रूप से मान्य है। तलाक, शादी टूटना, संबंध विच्छेद , विवाह खत्म होना आज भी भारतीय परिवेश में अनगमता है, सहज स्वीकार्य नहीं है. पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से भारत में भी आज तलाक के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ रहे है, स्त्री पुरुष दोनों की सोच में फर्क आ रहा है तथा आज सम्बन्धों में पारिवारिकता से अधिक व्यक्तिगतता आ रही है, लेकिन यह स्थिति बहुत सुखद है ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है। तलाक के साथ साथ, हिंसा , अनावश्यक आक्षेप, बालकों की परवरिश में कमी, कानूनी दांवपेचों और न्याय व्यवस्था का दुरूपयोग और कुटुंबो के मध्य शत्रुता का भाव आदि घटनाएं बढ़ रही है।  पति पत्नी रिश्ते में सबसे जरूरी...

भारत संगीत कला और रहस्यों का विश्वविद्यालय

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  “ जहाँ   डाल   डाल   पर    सोने   की   चिड़िया   करती    है   बसेरा    वो   भारत    देश   है   मेरा ” ये   पंक्तियां   भारत   की   प्राचीन   संस्कृति  , गौरव   और   कला   को   बताती   है   भारत   वर्ष   में   “ साम   वेद   “ को   भारतीय   संगीत   का   जनक   माना   जाता   है  , भारतीय   संगीत   इतनी   गहराई   और   उचाई   लिए   हुए   है   की   उसे   आध्यत्मिक  , सामाजिक   और   आर्थिक   जीवन   के   सभी   पक्षों   से   जोड़ा   गया   है।   संगीत   भारतीय   जन   जीवन   का   अभिन्न     हिस्सा   रहा   है   चाहे   रामायण   काल   हो   या   महाबारत   युग   हो   या   जै...