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एक छोटी सी कहानी 173

☝🏼 एक छोटी सी कहानी ऋचा: “लंच बॉक्स रख दिया था तुम्हारे बैग में।” हिमांशु (बिना देखे ही): “ठीक है।” (ऋचा धीरे से मुड़ती है।) हिमांशु: “ऋचा… Thank you. बिना बोले भी तुम बहुत कुछ कर देती हो।” 👉 कभी-कभी एक धन्यवाद, थकान से ज़्यादा प्यार भर देता है। 🌹श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 172

☝🏼 एक छोटी सी कहानी रीना: “जॉगिंग करनी चाहिए… सेहत के लिए जरूरी है।” अभिषेक: “हाँ, हाँ, पता तो मुझे भी है।” (दोनों मोबाइल देखते हुए बैठे रहते हैं…) रीना (हँसकर): “तो फिर चलें?” अभिषेक: “अभी?... नहीं, कल पक्का!” 👉 सही सबको पता है… फर्क सिर्फ इतना है कि कोई ‘अभी’ उठता है, कोई ‘कल’ में खो जाता है। ✨ 🤓 श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 171

☝🏼 एक छोटी सी कहानी आर्यन: “कुछ नहीं, वहां थोड़ा टाइम पास कर रहा था।” रौनक: “भाई… टाइम पास करते-करते टाइम तेरे  पास नहीं रहेगा।” 👉 समय से खेलोगे, तो समय जरूर सिखाएगा। ☕ श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 170

☝🏼 एक छोटी सी कहानी राहुल: “मेरा दिन पता नहीं कहाँ निकल जाता है।” हितेश: “जहाँ ध्यान जा रहा है… दिन भी वहीं जा रहा है।” 👉 ध्यान बचाओ, दिन बच जाएगा। 🤟🏼श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 169

☝🏼 एक छोटी सी कहानी गौरव: “मैं भीड़ में खो जाता हूँ।” राहुल: “क्योंकि तू भीड़ जैसा बनने की कोशिश करता है।” 👉 पहचान तब बनती है, जब आप भीड़ से अलग होने की हिम्मत रखते हैं। 🤓 श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 168

☝🏼 एक छोटी सी कहानी सौरभ: “मैं हर काम की शुरुआत बड़े इरादे से करता हूँ… पर टिक नहीं पाता।” वीर: “मैं छोटे इरादे से शुरू करता हूँ… पर उसे आदत बना लेता हूँ।” 👉 इरादा आपको शुरू करवाता है, आदत आपको पहुँचाती है। ✨ 🤩 श्रैयाँस कोठारी

एक छोटी सी कहानी 167

☝🏼 एक छोटी सी कहानी पिंकी : “लोग बस उंगली उठाते हैं।” पंकज : “क्योंकि सहारा देने में मेहनत और हिम्मत लगती है।” 👉 उंगली सब उठाते हैं, असल में उठाना कोई-कोई जानता है। 📿 श्रैयाँस कोठारी