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खुली आंख का सपन - अणुव्रत आंदोलन

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  खुली   आंख   का   सपन  - अणुव्रत   आंदोलन   वर्तमान   जैन   धर्म   का   प्रगपन   श्रमण   महावीर   प्रतिपादित   है   आत्मकृतत्व   के   सहारे   सत्य   का   साक्षात्कार   करने   वाले   तेजस्वी   पुरुष   के   धर्म   दर्शन   में   सत्य  - अहिंसा  - अपरिग्रह - अचौर्य    मुख्य   तत्व   है . जब   हम   विश्व   के   अन्य   धर्म   दर्शनों   को   देखते   है   तो   पाते    है   की   इन   में   भी   मुख्य   दर्शन   तत्व    नैतिकता  , सच्चाई  , क्षमा  - करुणा   अदि   है   जो   की   सत्य  - अहिंसा   के   ही   रूप   है। अर्थ   की   अनर्थ   लालसा   और   नैतिक   मूल्यों   के   क्षरण   ने   धर्म   के    इन   शाशवत   मूल्यों   को   कर्म - कांड   तक   सीमित   कर   दिया   और   आचरण   के   स्तर   पर   अप्रभावी  इस   पृष्ठ्भूमि   में   आचार्य   श्री   तुलसी   ने   अणुव्रत   आंदोलन   को   प्रवर्तित   किया।   " अणुव्रत  " स्वतंत्र   भारत   का   नैतिक   मूल्यों   की   पुनःस्थापन   और   आचरण   विशुद्धि   का   प्रथम   आंदोलन   था।    प्रत्येक   धर्म   का   अनुयायी   अपनी   अपनी    धार्मिक   क्रिया   कर